‘मिर्गी न तो लाइलाज है, न ही मानसिक विकार’, हाईकोर्ट ने कहा – इसे तलाक का आधार नहीं माना जा सकता

महाराष्ट्र। पति या पत्नी को मिर्गी का दौरा पड़ना क्रूरता नहीं है और इसे हिंदू विवाह कानून के तहत तलाक का आधार नहीं माना जा सकता है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि मिर्गी न तो लाइलाज बीमारी है और न ही इसे मानसिक विकार माना जा सकता है।
मिर्गी मानसिक विकार नहीं – हाईकोर्ट
दरअसल, एक 33 वर्षीय शख्स ने अपनी पत्नी से तलाक लेने के लिए एक याचिका दायर की थी। उसका कहना था कि मिर्गी के कारण उसकी पत्नी का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ गया है। वह क्रूरता भरा व्यवहार करती है। इसलिए वह उसके साथ नहीं रह सकता। न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मीकि एसए मेनेजेस की खंडपीठ ने मंगलवार को इस याचिका को खारिज करते हुए व्यक्ति को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि मिर्गी न तो लाइलाज बीमारी है और न ही इसे मानसिक विकार या मनोरोगी विकार माना जा सकता है।
महिला ने रखा अपना पक्ष
महिला ने पीठ से कहा था कि उसे दौरे पड़ते हैं, लेकिन वह मानसिक रूप से सही है। उसका मानसिक संतुलन नहीं बिगड़ा है।
हर व्यक्ति को सामान्य जीवन जीने का हक
सुनवाई के बाद पीठ ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि व्यक्ति साबित नहीं कर पाया कि अलग रह रही उसकी पत्नी मिर्गी से पीड़ित है या उसका मानसिक संतुलन बिगड़ा है। हाईकोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों के अनुसार मिर्गी से पीड़ित हर व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।