अवैध खनन के विरोध में आंदोलन कर रहे बाबा ने खुद को लगाई आग, गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती
राजस्थान। भरतपुर के पसोपा गांव में अवैध खनन का विरोध कर रहे बाबा विजय दास नाम के संत ने केरोसीन डालकर खुद को आग लगा ली। बाबा आग लगाने के बाद राधे-राधे कहते हुए दौड़ने लगे। वो अन्य साधु-संतों के साथ पिछले 551 दिन से आंदोलन कर रहे हैं। पुलिसकर्मियों ने कंबल डालकर किसी तरह आग बुझाई। बाबा को भरतपुर के राज बहादुर मेमोरियल अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। वे करीब 80 फीसदी जल चुके हैं।
आंदोलन से जुड़े एक अन्य बाबा नारायण दास मंगलवार सुबह 6 बजे से मोबाइल टॉवर पर चढ़े थे और समझाने के बाद बुधवार दोपहर 33 घंटे बाद वापस उतर आए। वे बरसाना के रहने वाले हैं। आंदोलन को देखते हुए संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा ने भरतपुर के पांच कस्बों में इंटरनेट बंद कर दिया था।
क्यों आंदोलन कर रहे हैं साधु-संत?
राजस्थान के भरतपुर जिले की डीग, कामां तहसील का इलाका 84 कोस परिक्रमा मार्ग में पड़ता है। साधु-संतों का कहना है कि यह धार्मिक आस्था से जुड़ी जगह है, यहां हिंदू धर्म के लोग परिक्रमा करते हैं, इसलिए यहां वैध और अवैध, दोनों तरह के खनन बंद होने चाहिए। इसी मांग को लेकर वे 551 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं।
पहले दी थी प्रशासन को चेतावनी
आंदोलन कर रहे साधु-संतों की अगुआई कर रहे बाबा हरिबोल ने रविवार 17 जुलाई को आत्मदाह करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद पुलिस बल धरना स्थल पर पहुंच गया था। उन्होंने कहा- मेरी मृत्यु का समय अब निश्चित हो चुका है, जिसे कोई बदल नहीं सकता है। प्रशासन चाहे कितना ही पुलिस अमला लगा दे, 19 जुलाई को मेरा ब्रजभूमि की सेवा और रक्षा के लिए मरना तय है। मेरी मृत्यु की जिम्मेदार राजस्थान सरकार होगी। इसके बाद सोमवार को साधु-संतों की पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह के साथ मीटिंग हुई थी। मंत्री के आश्वासन के बाद बाबा ने कहा था कि मीटिंग तो रोज होती है, कोई फैसला हो तो बात बने।
राजस्थान सरकार ने 27 जनवरी 2005 को आदेश निकाल था कि ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग के दोनों तरफ 500 मीटर में खनन नहीं किया जाएगा। भरतपुर जिले के डीग, कामां तहसीलों में पड़ने वाले परिक्रमा मार्ग व धार्मिक स्थलों के 500 मीटर के अंदर खनन बैन करने की घोषणा की गई। सरकार ने दावा किया था कि धार्मिक स्थलों व पहाड़ों में खनन नहीं हो रहा। न ही कोई खनन पट्टा दिया गया है। इस इलाके में कोई खनन नहीं चल रहा, लेकिन परिक्रमा मार्ग से 500 मीटर के बाहर खनन चलता रहा। साधु-संतों का दावा है कि 500 मीटर के अंदर भी माइनिंग का काम चल रहा है और पवित्र मानी जाने वाली पहाड़ियों को नुकसान हो रहा है।