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देश में कोरोना को लेकर अब भारतीय सेनाएं भी पूरी तरह अलर्ट मोड में

सेना के 8,500 डॉक्टर भी किसी प्रकार की आपात स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार

  नई दिल्ली। देश में कोरोना (Covid 19)  को लेकर अब भारतीय सेनाएं (Indian Army ) भी पूरी तरह अलर्ट मोड में हैं। कोरोना से जंग की सबसे नाजुक स्थिति करीब आने पर चिकित्सा से जुड़े साजो-सामान लाने-ले जाने के लिए वायुसेना ( Indian Airforce) की ट्रांसपोर्ट फ्लीट तैयार है, तो युद्धपोत भी किसी भी स्थिति में तैनाती के लिए अलर्ट पर हैं। सेना के 8,500 डॉक्टर  (Doctor ) भी किसी प्रकार की आपात स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

सिविल प्रशासन को सभी तरह की मदद दी जाए: रक्षामंत्री

 

रक्षा मंत्री ( defence minister)  ने आदेश दिया किया सिविल प्रशासन को सभी तरह की मदद दी जाए जो स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सुरक्षा बल पहले से ही कोरोना से निपटने के लिए क्वांरटीन सुविधाओं की तैयारी कर रही है। डिफेंस पब्लिक सेक्टर यूनिट जरूरी मेडिकल उपकरण बना रही है। वायुसेना को जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, मणिपुर और नगालैंड में मेडिकल सप्लाई पहुंचाने के लिए तत्काल ऐक्टिव कर दिया गया है।

वायुसेना ने 25 टन सप्लाई को गंतव्य तक पहुंचाया

वायुसेना ने बताया कि उसके विमानों ने पिछले 3 दिनों में 25 टन सप्लाई को गंतव्य तक पहुंचाया है। वायुसेना ने बताया कि पूरे देश में मांग पूरी करने के लिए उसने अपने सभी ट्रांसपोर्ट बेड़े को तैयार रखा है। सी-17 हेवी लिफ्टर, AN-32 ट्रांसपोर्ट एयरक्रॉफ्ट और सी-130J स्पेशल ऑपरेशन एयरक्रॉफ्ट को सिविल प्रशासन के आग्रह पर ऐक्टिव किया जा रहा है।
वायुसेना और नौसेना छोटे डॉनियर विमान को भी सप्लाई से मोर्चे पर लगा रखा है। ये दोनों सेनाएं मेडिकल टीम द्वारा टेस्ट किए जा रहे सैंपल को तत्काल सही जगह पहुंचा रही है। वायुसेना के प्रवक्ता ने कहा – मेडिकल सप्लाई जैसे पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (PPE), हैंड सेनेटाइजर्स, सर्जिकल गलव्स, थर्मल स्कैनरल और मेडिकल कर्मचारियों को एक-जगह से दूसरे जगह पहुंचाया जा रहा है।

नौसेना के युद्धपोत भी स्टैंडबाइ मोड में

नौसेना (Indian Navy)  के युद्धपोत भी स्टैंडबाइ मोड ( standbye)  में हैं। ताकि तटीय इलाकों में जरूरी पड़ने पर बड़े पैमाने पर सामान की आपूर्ति की जा सके। दो युद्धपोत को पड़ोसी देशों की मदद के लिए पहले से ही तैयार रखा गया है। अगर जरूरत पड़ी तो दूसरे युद्धपोत को भी उपलब्ध कराया जा सकता है।

 

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