● एन.एम.डी.सी 11एमएल के माइनिंग लीज़ नवीनीकरण कर के नाम पर ग्रामवासियो को किया गया गुमराह ।
● जिला प्रशासन व एन.एम.डी.सी प्रबंधन ने ग्रामवासियो की मांगों की किया अनसुना ।
● प्रभावित ग्रामवासियो के खिलाफ जाकर एन.एम.डी.सी के पक्ष में कार्य करते नज़र आया जिला प्रशासन ।
● विधानसभा के शून्यकाल में भी जोगी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो अजित जोगी जी ने उठाया आदिवासियों के पक्ष में फैसला लेने की मांग ।
दिनेश गुप्ता, किरंदुल. गुरुवार को एन.एम.डी.सी प्रबंधन द्वारा परियोजना क्र 11 एमएल के लीज नवीनीकरण हेतु जिला प्रशासन के माध्यम से किरंदुल नगरपालिका क्षेत्र में प्रभावित ग्राम कोडेनार के लिए ग्राम सभा बुलाई गई थी । जिसमे ग्रामवासियो के समस्त मांगो को सिर्फ खानापूर्ति के लिए सुनते हुए एवं भारी विरोध के बाद भी ग्रामसभा के निरस्त करने सम्बंधित कोई जानकारी नही दी गयी । जिला प्रशासन की तरफ से नोडल अधिकारी बी.सी.भरोस एवं एसडीएम बी.आर.ठाकुर ने सभा ली । दूरस्थ क्षेत्रो से आये अन्य प्रभावित ग्रामवासियो की मांगों को अनसुना कर सिर्फ कोडेनार ग्राम को उक्त परियोजना से प्रभावित ग्राम बताना समझ से परे थे ।
जिला प्रशासन द्वारा ग्रामवासियो के प्रति इस पक्षपातपूर्ण रवैये से सभी उपस्थित ग्रामवासी एवं जनप्रीतिनिधि नाराज़ नज़र आये और ग्रामवासियो ने विरोध करते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 (1) पांचवी अनुसूचित क्षेत्र के पंचायत राज्य अधिनियम की 1996(4)(क) का उलंघन बताया । साथ ही ग्रामीणों द्वारा यह बात भी कही गयी कि ग्रामीणों द्वारा भारी विरोध प्रदर्शन करने के बावजूद भी एसडीएम द्वारा सिर्फ यह कहना कि सिर्फ चुनिंदा लोगो ने ही विरोध जताया है, साफ तौर पर दर्शाता है कि कैसे जिला प्रशासन भी एनएमडीसी प्रबंधन के पक्ष में कार्य कर रही है ।
प्रभावित ग्राम पंचायत कोडेनार के उपस्थित ग्रामवासी एवं सरपंच के द्वारा खुले मंच से ग्रामसभा को नगरपालिका क्षेत्र में कराये जाने के विरोध करने के बावजूद भी जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा कोई प्रतिक्रिया नही दी गयी, जो कि निश्चित ही यह अपरोक्ष रूप से दर्शाता है कि एनएमडीसी प्रबंधन एवं जिला प्रशासन के मध्य पूर्व ही सांठ गांठ हो चुकी है । प्रभावित ग्रामवासियो के विरोध के बाद एवं ग्रामसभा के स्थगन संबंधित मांग पर जब अन्य तिथि मांगी गयी तब भी एसडीएम द्वारा टालमटोल जवाब दिया गया ।
जोगी कांग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष राहुल महाजन, जो प्रभावित ग्राम के निवासी है, द्वारा जब एसडीएम से पूछा कि आज की कार्यवाही को निरस्त क्यों नही किया जा रहा है व इस ग्राम सभा का परिणाम क्या है तो एसडीएम ने संध्या 5बजे इस बात का जवाब देने की बात कह कर बात टाल दी गयी और और 5बजते ही नोडल अधिकारी से जानकारी ले लो कह कर जिला प्रशासन के अधिकारी सभा से चल दिये । नोडल अधिकारी भी बिना जवाब दिए ग्रामसभा से पहले ही गायब हो चुके थे । भारी विरोध प्रदर्शन के बाद भी जिलाप्रशासन के अधिकारियों द्वारा कोई स्पष्ट रूप से जवाब नही दिया गया ।
विधानसभा के शून्यकाल मे भी जोगी कांग्रेस पकरटी सुप्रीमो द्वारा इस मुद्दे को उठाया गया की सरकार आदिवासियों को उनकी ज़मीनों से बेदखल करने बन्द करे । जंगल हमेशा से आदिवासियों का घर रहा है और इन्होंने ही वनों को संरक्षित कर के रख है । वनों को ओद्योगिक घरानों को देने से वन और आदिवासियों का का ही नुकसान होने है इसलिए सरकार को आदिवासी हितैषी नियम बनाने चाहिये और उनके हित मे करना चाहिए ।
ज्ञात हो कि इस एनएमडीसी के इस लीज नवीनीकरण के माध्यम से प्रभावित ग्रामवासी अपनी मांगों को रखकर मूलभूत सुविधाएं जैसे कि बिजली, पानी, स्वास्थ और सड़क की मांगों को लेकर आये थे । परन्तु हर बार की तरह इस बार भी उन्हें निराश ही मिली । 50 वर्षो से अधिक समय से उत्खनन कर रही एनएमडीसी प्रबंधन आज भी किरंदुल नगर से नगर मात्र 5किमी क्षेत्र के दायरे में भी सड़क और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं भी नही दे पा रही है । और उसपर ग्रामसभा के नाम पर ग्रामवासियो के साथ इस तरह के छलावे से आदिवासी जन अपने ही घर मे बेघर से महसूस करने लगे है ।