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छत्तीसगढ़ के ‘हाफ ह्यूमन रोबो’ चित्रसेन साहू को सीएम भूपेश बघेल ने 12 लाख 60 हजार रूपए देने की घोषणा की, जानें इस सख्श के बारे में, क्या है अगला मिशन

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने आज रायपुर में आयोजित रन फॉर सीजी प्राइड के मंच से दिव्यांग पर्वतारोही चित्रसेन साहू (Chitrasen Sahu) को 12 लाख 60 हजार रूपए प्रदान करने की घोषणा की है। चित्रसेन साहू को यह राशि छत्तीसगढ़ सरकार और सीएसआर मद से प्रदान की जाएगी। श्री साहू ने छत्तीसगढ़ में नई सरकार के आगामी 17 दिसम्बर को 3 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित ‘रन फॉर सीजी प्राइड’ (दौड़ स्वाभिमान और गर्व की) में हिस्सा लिया था।

चित्रसेन साहू ने मुख्यमंत्री बघेल को सहयोग के लिए आभार जताते हुए कहा कि अब माउंट अकोंकागुआ की कठिन चढ़ाई कर छत्तीसगढ़ महतारी का नाम फिर से गौरवान्वित करने का पूरा प्रयास करूंगा।

पढ़े चित्रसेन साहू के बारे में-

चित्रसेन साहू का जन्म छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के बेलौदी में हुआ था। उन्होंने अपने गांव के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की और गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, बिलासपुर से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्हें वायु सेना में स्वीकार कर लिया गया था और उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी थी। चित्रसेन के साथ एक दुर्घटना हुई जिसमें उनके दोनों पैर खो गए थे।

ट्रेन दुर्घटना में चित्रसेन साहू ने खोए दोनों पैर

चित्रसेन 4 जून 2014 को रायपुर से बिलासपुर जाने वाली अमरकंटक एक्सप्रेस में सवार हुए। भाटापात्रा स्टेशन पर वह पानी खरीदने के लिए ट्रेन से निकले। जब तक वे लौटे तब तक ट्रेन धीरे-धीरे चलने लगी थी। वह थोड़ी दूर दौड़ा और चलती ट्रेन में चढ़ने की कोशिश की, लेकिन दरवाज़े का हैंडल चिकना था और वह फिसल गया, अपना संतुलन खो दिया और गिर गया।

इस हादसे के शुरू में पुलिस को संदेह था कि चित्रसेन आत्महत्या का प्रयास कर रहा है या रेलवे ट्रैक पार करते समय दुर्घटना का शिकार हो गया है, लेकिन ट्रेन का ध्वजवाहक आगे आया और घटना को विस्तार से समझाने में सक्षम था। चित्रसेन साहू को अस्पताल ले जाया गया जहां तुरंत एक पैर काट दिया गया, वहीं चौबीस दिन बाद चिकित्सकीय लापरवाही के कारण उनका दूसरा पैर भी काट दिया गया।

दोनों पैर काट दिए जाने के कारण, साहू को अपनी जरूरतों के लिए एक कार खरीदने और विशेष रूप से संशोधित करने के बावजूद, मोटर वाहन लाइसेंस प्राप्त करना मुश्किल हो गया। अंततः उन्हें बिलासपुर के उच्च न्यायालय द्वारा उनके पक्ष में एक निर्णय दिया गया, जिसने कई अन्य विकलांग लोगों के लिए लाइसेंस प्राप्त करने का द्वार खोल दिया।

उन्होंने “मिशन इंक्लूजन” की स्थापना की जो विकलांग लोगों को परामर्श और कृत्रिम अंगों के दान के माध्यम से सहायता प्रदान करता है। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, “हमारा सारा ध्यान सभी को यह समझाने पर है कि यह सहानुभूति नहीं है जिसकी आवश्यकता है, बल्कि एक सुलभ और समावेशी वातावरण को समझने और बनाने के लिए हार्दिक सहानुभूति है।”

चित्रसेन ऐसे बने पर्वतारोही

दुर्घटना के बाद साहू ने छत्तीसगढ़ के अनुभवी पर्वतारोही राहुल गुप्ता की सहायता से सेवन समिट का प्रयास करने का फैसला किया। उन्होंने किलिमंजारो पर्वत के साथ शुरुआत की 23 सितंबर 2019 को -10 से -15 डिग्री सेल्सियस के तापमान में छह दिनों के बाद शिखर पर पहुंचे। उन्होंने 2 मार्च 2020 को ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट कोसियस्ज़को को फतह किया।

हाल ही में चित्रसेन साहू ने यूरोप महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस को फतह कर देश का तिरंगा लहराया है. यह कारनामा कर चित्रसेन साहू ने नेशनल रिकार्ड अपने नाम कर लिया है। चित्रसेन ने कृत्रिम पैरों की मदद से यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस के 5642 मीटर को फतह कर 23 अगस्त को सुबह 10:54 बजे भारतीय तिरंगा लहराया। उन्‍होंने पर्वत से मिशन इंक्लूसन और प्लास्टिक फ्री का संदेश दिया।

इससे पहले चित्रसेन साहू ने माउंट किलिमंजारो और माउंट कोजीअस्को फतह कर नेशनल रिकार्ड कायम किया था। माउंट किलिमंजारो अफ्रीका महाद्वीप और माउंट कोजिअसको आस्ट्रेलिया महाद्वीप की सबसे ऊंची पर्वत है। चित्रसेन ने यह उपलब्धि हासिल करने वाले देश के प्रथम डबल एंप्यूटी है। चित्रसेन साहू ने दोनों पैर कृत्रिम होने की वजह से पर्वतारोहण में बहुत कठिनाइयों का सामना करते हुए इस मुकाम को हासिल किया।

चित्रसेन ने -25 डिग्री सेल्सियस शरीर जमा देने वाली ठंड और 50-70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही बर्फीले तूफान का सामना करते हुए 23 अगस्त की सुबह ऊंची माउंट एलब्रुस चोटी को फतह किया। चोटी में चढ़ते समय चित्रसेन के पैर में चोट भी लग थी और उनका चलना मुश्किल हो गया था। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और माउंट एलब्रुस चोटी का चढ़कर छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया।

चित्रसेन ने माउंट एलब्रुस चढ़ाई 17 अगस्त को शुरू की थी। चित्रसेन में माउंट एलब्रुस (mount elbrus) चोटी चढ़कर तीसरे महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी चढ़ने का गौरव हासिल कर लिया। चित्रसेन साहू सात ऊँची चोटियों में से 3 पर चढाई कर चुके है. अब वह चौथे महाद्वीप की चोटी में चढ़ने का सफर शुरू करेंगे। चित्रसेन साहू का लक्ष्य है कि वह सातों चोटियों पर तिरंगा लहराए।

अगला मिशन माउंट एकोंकागुआ

चित्रसेन साहू अभी माउंट एकोंकागुआ(Mount Aconcagua) को फतह करने की तैयारी में है. इस मिशन का नाम अपने पैरों पर खड़े हैं (Mission Inclusion) होगा। माउंट एकोंकागुआ दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी है. जो अर्जेंटीना में स्थित है. इस पर्वत की ऊंचाई 6962 मीटर(22841फीट) है. चित्रसेन छत्तीसगढ़ के पहले व्यक्ति होंगे जो माउंट एकोंकागुआ और 4 अन्य महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचेंगे। चित्रसेन का यह मिशन 2 जनवरी 2022 से शुरू होगा।

चित्रसेन की पूर्व की पर्वतारोहण मिशन की जानकारी –

कैंपेन-अपने पैरों पर खड़े हैं (मिशन इन्क्लूजन)

1. स्थान अफ्रीका महाद्वीप
देश तंजानिया
पर्वत किलिमंजारो(Kilimanjaro)
ऊंचाई 5685 मीटर
Summit -23-09-2019

2. स्थान – ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप
देश – ऑस्ट्रेलिया
पर्वत – माउंट कोजीअस्को(Kosciuszko)
ऊंचाई – 2228 मीटर
Summit 02-03-2020

3. स्थान – यूरोप महाद्वीप
देश – रूस
पर्वत – माउंट एलब्रुस
ऊंचाई – 5642 मीटर(18510 फीट
Summit- 23-08-21

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