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बेटी की मौत के बाद परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से किया इनकार, ब्रम्हकुमारी विश्वविद्यालय की बहनों और भाइयों ने पेश की मानवता की मिशाल…

तिल्दा-नेवरा- इंसान की मृत्यु के बाद सारे गिले सिकवे भुला दिए जाते हैं। परिजन भी धर्मानुसार दिवगंत का अंतिम संस्कार करते हैं। लेकिन इस बदनसीब बेटी को मौत के बाद न तो अपनों का साथ मिला न परिवार वालों का। जन्म देने वालों की बेरूखी इस कदर नजर आई कि अपने माता-पिता के प्यार की सजा इस मासूम बेटी को मिली। वही मुस्कान राठी मृतिका की माँ ने कहा कि अंतरजातीय प्रेम-विवाह करने के कारण मुझे जो पीड़ा और वेदना का सामना करना पड़ा है मै शिव बाबा से प्रार्थना करती हूँ कि, किसी और को ऐसा दिन देखना न पड़े..

अंतरजातीय प्रेम-विवाह के बाद पैदा हुई प्रेम की निशानी बेटी को अंतिम समय में भी अपनों का साथ नसीब नहीं हुआ। अंतिम संस्कार की बारी आई तो उनके अपनों ने ही हाथ खड़ा कर दिया। जीवन के अंतिम क्षणों में उन्हें विदाई देनें न तो पिता तैयार हुए और न ही उनके ननिहाल वालें। यहां तक की परिजनों ने भी मुंह मोड़ लिया। अंत्येष्टि की बाट जोहती बेटी से लावारिसों की तरह अपनों का मुंह फेरना लोगों में चर्चा का विषय भी बना रहा।

दरअसल, तिल्दा-नेवरा शहर में बीते शुक्रवार को एक्टिवा से स्कूल जा रही पन्द्रह साल की कनक राठी की ट्रेलर की चपेट में आने से मौकें में ही मौत हो गई थी। शव के पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने जब लाश परिजनों को सौंपा तो पिता पक्ष वालें अंतिम संस्कार करनें राजी नहीं हुए। समझाइश के बाद भी परिजन अंतिम संस्कार करने और कंधा देने तैयार ही नहीं हुए। केवल मां ही अकेली तैयार थी लेकिन शास्त्र अनुसार वह अंतिम संस्कार नहीं कर सकती थी।

वहीं जब परिवार वालों के द्वारा शव का अंतिम संस्कार किए जाने से इंकार करने की खबर प्रजापति ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बहनों को मिली तो, वे लोग शव का अंतिम संस्कार करने राजी हो गए। चुंकि मृतका की मां भी इस संस्था से जुड़ी हुई थी. इसलिए विश्वविद्यालय के बहनों ने मानवता का परिचय देते हुए परिजन बनकर मुखाग्नि देकर शव का अंतिम संस्कार किया। मिली जानकारी के मुताबिक मृतका के माता-पिता अलग-अलग जाति के थे और दोनों ने प्रेम विवाह किया था। कुछ साल पहले दोनों में अनबन होने के बाद दोनों अलग-अलग रहते थे। माता-पिता की इकलौती बेटी कनक मां के साथ रहती थी।


वहीं जब बेटी की आकस्मिक मौत हो गई तो दोनों पक्ष वालों ने अपने जिगर के टुकड़े के ही अंतिम संस्कार करने से अपने हाथ खींचे लिए। तब नगर के स्वयं सेवी संस्था नरेश मित्र मंडल के सहयोग से ब्रम्हकुमारी बहनों ने अंतिम संस्कार किया। वहीं विश्वविद्यालय की ब्रम्हकुमारी बहनों द्वारा मृत बालिका के दशगात्र के लिए भी परिवार का आर्थिक मदद किया जा रहा है।।

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