जया प्रदा ने आजम खान के खिलाफ की शिकायत, दोषी साबित हुए तो हो सकती है ये सजा
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान की जया प्रदा पर की गई टिप्पणी से सियासी गलियारों में उबाल आ गया है. बीजेपी प्रत्याशी जया प्रदा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रही हैं. सपा नेता के खिलाफ महिला आयोग से भी शिकायत की गई है. ऐसे में अगर आजम खान दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 354 के तहत कानूनी कार्रवाई हो सकती है.
दरअसल, भारतीय दंड संहिता यानी IPC महिलाओं को विशेष सुरक्षा प्रदान करती है. इसलिए किसी भी जगह किसी भी महिला के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करना या उनके खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करना. या उनके साथ कोई जोर जबरदस्ती करना और छेड़छाड़ करना किसी को भी महंगा पड़ सकता है. ऐसे मामलों में आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है. पुलिस महिलाओं के साथ होने वाले ऐसे मामलों में आरोपी के खिलाफ धारा 354 के तहत मुकदमा दर्ज करती है. आइए जानते हैं आईपीसी की धारा 354 के बारे में.
क्या है IPC की धारा 354
भारतीय दंड संहिता यानी IPS की धारा 354 का इस्तेमाल ऐसे मामलों में किया जाता है. जहां स्त्री की मर्यादा और मान सम्मान को क्षति पहुंचाने के लिए उन पर आपत्तिजनक टिप्पणी की जाए या उनके साथ जोर जबरदस्ती की जाए. उनको गलत नीयत से छुआ जाए. या फिर बुरी नीयत से उन पर हमला किया जाए. गलत मंशा के साथ महिलाओं से किया गया बर्ताव भी इसी धारा के दायरे में आता है.
पांच भागों में है धारा 354
दिल्ली के निर्भया कांड के बाद धारा 354 में बदलाव किया गया. जिसके चलते इस धारा के 4 भाग और बना दिए गए. जिनमें 354ए, 354बी, 354सी और 354डी शामिल हैं. जिसके तहत महिलाओं की इच्छा के विरुद्ध जोर जबरदस्ती करना. उन्हें जबरन अश्लील तस्वीरें यी वीडियो दिखाना. उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करना आदि आता है. ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ संबंधित धाराओं में कार्रवाई की जा सकती है.
क्या होती है सजा
भारतीय दंड संहिता के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की मर्यादा को भंग करने या उसका अपमान करने के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी करता है. अपशब्द कहता है या उस महिला पर हमला या जोर जबरदस्ती करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 354 के तहत वाद दर्ज किया जाता है. जिसके तहत आरोपी पर दोष सिद्ध हो जाने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.
क्या है भारतीय दंड संहिता
भारतीय दण्ड संहिता यानी Indian Penal Code, IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए कुछ अपराधों की परिभाषा औ दण्ड का प्राविधान करती है. लेकिन यह जम्मू एवं कश्मीर और भारत की सेना पर लागू नहीं होती है. जम्मू एवं कश्मीर में इसके स्थान पर रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती है.
अंग्रेजों की देन है IPC
भारतीय दण्ड संहिता यानी आईपीसी सन् 1862 में ब्रिटिश काल के दौरान लागू हुई थी. इसके बाद समय-समय पर इसमें संशोधन होते रहे. विशेषकर भारत के स्वतन्त्र होने के बाद इसमें बड़ा बदलाव किया गया. पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही अपनाया. लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन ब्रिटिश सत्ता के अधीन आने वाले बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि में भी लागू कर दिया गया था.