फर्जी किसानों का बोलबाला, असली किसानों के मुंह पर ताला, लैम्प्स प्रबंधन और दलालो की मिली भगत से किसान हो रहे है परेशान
दिनेश गुप्ता, बीजापुर-भोपालपटनम ब्लाक के किसान अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं। अगर कुछ कांग्रेसी नेता इस तरफ ध्यान नहीं देते तो उनकी परेशानी यथावत रहती। एक ओर नयी सरकार के गठन के बाद त्वरित किसानों का ऋण माफ किया जिससे किसानों के मुंह पर खुशी छा गई, किन्तु अनेक फर्जी किसानों ने लेम्स प्रबंधक और पटवारी से मिली भगत करके ऋण माफ का फायदा उठाया, उन्होंने भी ” बहती गंगा में हाथ धो लिया “। अगर इसकी गहराई से जांच कराई जाएगी तो शासन को करोड़ों रुपयों का चूना लगने से बचाया जा सकता है ?
भोपालपटनम ब्लाक के अंतर्गत किसान त्रस्त हैं, चाहे के सी सी लोन हो, पंजीयन कराना हो या समर्थन मूल्य में धान बेचना है। पूर्व में पंजीयन के नाम से किसान तहसील का चक्कर लगा रहे थे। राजस्व विभाग ने भी किसी समस्याओं का निराकरण नहीं किया,जब कांग्रेसी नेताओं ने संज्ञान लिया, तब कहीं राजस्व विभाग द्वारा शिथिलता बरतने पर किसानों को राहत मिली। मगर लेम्स प्रबंधक एवं पटवारी के मिली भगत से शासन को करोड़ों रुपयों का चूना लगाया? उदाहरण के लिए शासन द्वारा ऋण माफ करने पर उजागर हुई।
राजस्व विभाग द्वारा कुछ किसानों को ऋण पुस्तिका आवंटन किया गया, जिसमें शासकीय कर्मचारी, जनप्रतिनिधि एवं लेम्स कर्मचारियों को भी दी गई।मजेदार बात यह है कि इसमें कुछ को अपनी जमीन का पता नहीं। वहीं पटवारी द्वारा जारी पंजीयन प्रमाण पत्र भी धान समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए दी जाती है।लेम्स के कर्मचारियों की मिली भगत से पंजीयन भी हो जाता है, फिर उसी रकबा,खसरे से लेम्स प्रबंधक द्वारा उद्यानिकी फसलों के लिए ऋण दिया जाता था। जिसमें वहीं पटवारी और उद्यानिकी विभाग के द्वारा प्रमाण पत्र दिया जाता था।
लेम्स प्रबंधक और शाखा प्रबंधक की मिली भगत
फर्जी किसान द्वारा चतुराई दिखाते हुए,लेम्स प्रबंधक और शाखा प्रबंधक के मिली भगत से ऋण प्राप्त कर लेता था और राजस्व विभाग के द्वारा वहीं रकबा ,वहीं खसरा नंबर में अपने निरीक्षण और संरक्षण में पुनः धान खरीदवाया जाता था,जब वही रकबा, वहीं खसरा में आलू, टमाटर ,अदरक-लहसुन लगाया गया है तो उस रकबे खसरे में धान की फसल कैसे पैदा होगी ? यह ” नौवां अजूबा ” से कम नहीं। जो कि जांच का विषय है। वास्तविक किसान शासन के योजनाओं से लाभान्वित नहीं होते, वहीं फर्जी किसान करोड़ों रुपए खां जाते, जिनका ज़मीन का पता है ,ना ही फसल का पता है ? कथित तौर पर पता चला है कि कुचनुर के कुछ किसानों से एक लेम्स प्रबंधक ने जमीन का पट्टा अपने पास रख लिया है, उन्हीं पट्टे पर ऋण लेकर ,अपनी जरुरतों को पूरा कर रहा है।
किसानों द्वारा पट्टा मांगने पर टाला-मटोली करता है। ऐसा लोगों का कहना है।दिलचस्प बात यह है कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक में सूचना का अधिकार से जानकारी मांगने पर, शाखा प्रबंधक द्वारा सूचना दी जाती है कि हमारे यहां सूचना का अधिकार लागू नहीं होता है। शायद इसी का नाजायज फायदा उठाकर लेम्स प्रबंधक और शाखा प्रबंधक द्वारा लाखों, करोड़ों का खेल तो नहीं खेल रहे ?
अगर इसकी गहराई से जांच कराई जाए तो अनेक चौंकाने वाले राज उजागर हो सकते हैं ? इन सभी लेम्सो की संस्थावार जांच की जाए। इसकी मांग किसानों के द्वारा की गई। साथ ही यह कहा गया कि जिन लोगों के द्वारा फर्जी तरीके से लोन लिया है, उनसे तत्काल वसूली की जाये। जिन्होंने इस गैरकानूनी कृत्य किया है ,उन पर कठोर कार्रवाई के साथ दण्डात्मक कार्यवाही होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति न हो। इसकी मांग किसानों के द्वारा की गई।