टेक्नोलॉजी

मोबाइल पोर्टेबिलिटी के नियम में हो सकता हैं बदलाव,कंपनियों से मांगा गया सुझाव

नई दिल्ली : भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर को बदलने से जुड़ी फी की समीक्षा शुरू की. यह समीक्षा मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) के मौजूदा नियमों एव प्रोसेस में बदलाव को लेकर की जा रही है. ट्राई ने परामर्शपत्र जारी कर संबंधित पक्षों से पूछा है कि मौजूदा गणना विधि के तहत प्रति पोर्ट पर चार रुपये के शुल्क को जारी रखा जाए या इसके लिये नई गणना विधि अपनायी जाए. पोर्ट शुल्क का भुगतान नये सेवा प्रदाता पुराने सेवा प्रदाता को करते हैं. ट्राई ने यह भी पूछा है कि पोर्ट के निवेदन को शुल्क के लिए लेन-देन माना जाए या सफल पोर्ट प्रक्रिया को यह दर्जा दिया जाए.

दिसंबर 2018 में आसान हुए पोर्टेबिलिटी नियम

पिछले दिनों कुछ मीडिया रिपोटर्स में ट्राई की तरफ से एमएनपी को बंद किए जाने का भी दावा किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि ट्राई की तरफ से एमएनपी को 31 मार्च 2019 के बाद से बंद किया जा सकता है. यानी इस तारीख के बाद आप अपने सर्विस प्रोवाइडर को नहीं बदल पाएंगे. हालांकि इन रिपोर्टस को बाद में गलत करार दिया गया. ट्राई ने दिसंबर 2018 में ही पोर्टेबिलिटी नियमों को आसान बनाया है. अब रिक्वेस्ट जेनरेट करने के महज दो दिन में मोबाइल नंबर पोर्ट किया जा सकता है. अभी तक इसकी अवधि एक हफ्ते से ज्यादा की है.

जनवरी 2018 में घटाया था चार्ज

जनवरी 2018 में TRAI ने मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी का चार्ज 19 रुपए से घटाकर 4 रुपए कर दिया था. जिसके बाद से कंपनियों को नंबर पोर्टेबिलिटी की वजह नुकसान उठाना पड़ा है. इन कंपनियों की आय का स्रोत सिर्फ यही चार्ज है. 2017 में रिलायंस जियो की टेलीकॉम इंडस्ट्री में एंट्री के बाद मासिक आधार पर एमएनपी की रिक्वेस्ट में चार गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

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