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मेगा पोल : मोदी के काम से कितने खुश हैं लोग ?

नई दिल्ली। साल 2014 में स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार का कार्यकाल कुछ सप्ताह में खत्म हो रहा है। आम चुनाव शुरू होने में दो महीने से भी कम वक्त बचा है तो रोज नए राजनीतिक मुद्दों से हमारा वास्ता पड़ रहा है। हालांकि, इस सियासी नूराकुश्ती के बीच सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि नरेंद्र मोदी सरकार का बीते पांच साल का कार्यकाल कैसा रहा।

एक प्रतिष्ठित अखबार समूह के ऑनलाइन मेगा पोल में जब यह सवाल लेकर जनता के बीच गए, तो आधे से ज्यादा लोगों ने मोदी सरकार के कार्यकाल को बहुत बढ़िया माना। ऑपिनियन पोल में अपनी राय दर्ज कराने वाले यूजर्स में से दो-तिहाई यूजर मोदी सरकार के कार्यकाल को ’बहुत बढ़िया’ या ’बढ़िया’ मानते हैं।

2014 में देश में 30 साल बाद ऐसा हुआ था, जब कोई सरकार पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई। इससे पहले आखिरी बार 1984 में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सहानुभूति की लहर में हुए इस चुनाव ने राजीव गांधी को सियासत के शिखर पर पहुंचा दिया था।

अब जबकि इस पूर्ण बहुमत वाली सरकार के पांच साल पूरे हो रहे हैं, तब 59.51 प्रतिशत लोग मानते हैं कि मोदी सरकार ने ’बहुत बढ़िया’ काम किया है। 22.29 प्रतिशत लोग मानते हैं कि पांच साल में मोदी सरकार ने ’बढ़िया’ काम किया। 8.25 प्रतिशत यूजर्स मोदी सरकार के कार्यकाल को ’औसत’ मानते हैं, वहीं 9.94 प्रतिशत लोगों की नजर में मोदी सरकार ने खराब काम किया।

लोगों के जवाबों में एक रोचक बात यह देखने को मिली कि 36.27 प्रतिशत बांग्लाभाषी मोदी सरकार के कार्यकाल को बहुत बढ़िया और 25.20 प्रतिशत बढ़िया मानते हैं, वहीं 25.37 प्रतिशत बांग्लाभाषी इसे खराब मानते हैं।

बांग्लाभाषियों का मोदी सरकार से संतुष्ट होना काफी रोचक

ममता बनर्जी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच टकराव के मद्देनजर पोल में हिस्सा लेने वाले आधे से ज्यादा बांग्लाभाषियों का मोदी सरकार से संतुष्ट होना काफी रोचक है और यह इस बात का संकेत है कि वहां आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी सत्ताधारी तृणमूल के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है।

मोदी सरकार के कार्यकाल को ’बहुत बढ़िया’ मानने वालों की सबसे ज़्यादा संख्या कन्नड़भाषियों की है। 75.44 प्रतिशत कन्नड़भाषी मोदी सरकार के कार्यकाल को ’बहुत बढ़िया’ मानते हैं। यह दूसरी भाषाओं के मुकाबले सबसे ज्यादा है। सिर्फ 5.95 प्रतिशत कन्नड़भाषी मोदी सरकार के कार्यकाल को ’खराब’ मानते हैं, जो दूसरी भाषाओं के मुकाबले सबसे कम है।

मोदी सरकार के कार्यकाल को ’खराब’ मानने वाले सबसे ज्यादा तेलुगु और मलयालमभाषी हैं। 33.22 प्रतिशत तेलुगुभाषी और 43.18 प्रतिशत मलयालमभाषी मोदी सरकार के कार्यकाल को ’खराब’ मानते हैं। जिन राज्यों में ये भाषाएं बोली जाती हैं, वहां अभी बीजेपी अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश में जुटी है।

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