मास्टरमाइंड की तलाश में सेना का ‘ऑपरेशन 25’, पाक को अलग-थलग करने की मुहिम तेज

नई दिल्ली. पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए फिदायीन हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने की मुहिम तेज कर दी है। पाकिस्तान और आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ प्रभावशाली देशों को साधने के लिए विदेश में स्थित भारतीय मिशनों ने कूटनीतिक अभियान शुरू कर दिया है। पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए विदेश मंत्रालय अपने कूटनीतिज्ञों, राजदूतों और उच्चायुक्तों से चरणबद्ध तरीके से बैठक कर रहा है। मिशन, उच्चायोग और दूतावास को खुद से जुड़े देशों को कूटनीतिक माध्यमों से पाकिस्तान के खिलाफ साधने का निर्देश दिया जा रहा है।
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इस कड़ी में करीब 60 प्रभावशाली देशों में कार्यरत मिशनों से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों को ब्रीफ किया जा चुका है। वहीं, आतंकी गुटों के वित्त पोषण पर निगाह रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) संदेह के आधार पर पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाल चुकी है। अब भारत पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद को मदद के सुबूत देकर उसे काली सूची में डलवाने की कोशिश करेगा। अगर ऐसा हुआ तो उसे विदेशी कर्ज और मदद मिलने में मुश्किल होगी।
सेना ने राशिद की तलाश में ‘ऑपरेशन 25’ चलाया है
सुरक्षा एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड आतंकी गाजी राशिद को पकड़ने की है। सेना ने राशिद की तलाश में ‘ऑपरेशन 25’ चलाया है। इसके तहत जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर पंपोर से पुलवामा तक 25 किमी के इलाके को घेरकर गाजी को पकड़ने का अभियान तेज कर दिया गया है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, हमले के समय अफगानी आतंकी राशिद पुलवामा में ही मौजूद था।
हमले के बाद जितनी तेजी से सुरक्षा बलों ने इलाके में तलाशी अभियान चलाया है, उससे यह मुमकिन नहीं कि गाजी 25 किमी से आगे निकल सका हो। फिलहाल उसके इस इलाके में अपने किसी आका के पास छिपे होने की आशंका है। साथ ही आशंका है कि वह सुरक्षा घेरा ढीला पड़ने पर भागने की जुगत करेगा। पुलवामा हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।
इस इलाके में जैश के कई आतंकियों के छिपे होने का भी अंदेशा है। अब सुरक्षा एजेंसियां इस आतंकी संगठन की कारगुजारियों का खाका दुनिया के सामने रखने की तैयारी में है। हाल में जैश आतंकी अब्दुल रऊफ असगर ने कराची में चंदा अभियान चलाया था। छह दिनों तक चले इस अभियान से जुटाई गई रकम को जैश के ट्रस्ट में जमा किया गया था।