3 साल में 25 हजार बच्चों की मौत पर टीएस सिंहदेव की स्वीकारोक्ति के बाद घिर गई भूपेश सरकार, नेताम ने मांगा इस्तीफा…
रायपुर- राजनीति में सच स्वीकार करना सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर देता है। छत्तीसगढ़ में भी यही हो रहा है। राज्य के स्वास्थमंत्री टीएस सिंहदेव ने हांलाकि जो सच है उसी को स्वीकार किया है कि पिछले तीन साल में छत्तीसगढ़ में 25 हजार से ज्यादा आदिवासी बच्चों की मौत हुई है और केन्द्र सरकार द्वारा राज्यसभा में जो बयान दिया गया था उसके आंकड़े राज्य के स्वास्थ विभाग ने ही केन्द्र सरकार को मुहैया कराये हैं।
लेकिन टीएस सिंहेदव की यह स्वीकारोक्ति न केवल राज्य की भूपेश सरकार की मुश्किले बढ़ानेवाला है बल्कि राज्य की मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के हाथ एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। टीएस सिंहदेव की स्वीकारोक्ति के बाद भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता और राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने एक ट्वीट कर राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री और सरकार के प्रवक्ता रविन्द्र चौबे के साथ ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम से इस्तीफा मांगा है।
नेताम ने मांगा इस्तीफा…
रामविचार नेताम ने अपने ट्वीट में लिखा- “प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष माननीय मोहन मरकाम जी और छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री माननीय रविन्द्र चौबे जी 3 वर्षों में 25 हजार जनजातीय बच्चों की मौत पर मेरे द्वारा दिए गए आंकड़ो को आपने झूठा और गलत बताया अब आपके ही स्वास्थ मंत्री इस आंकड़े को स्वीकार कर रहे हैं। इतने संवेदनशील मुद्दे पर झूठ बोलकर प्रदेश की जनता को गुमराह करने पर प्रदेश की जनता से माफी मांगते हुए नैतिकता के आधार पर क्या अपने पद से इस्तीफा देंगे? या कांग्रेस पार्टी झूठ बोलनेवाले को बाहर करेगी?”
क्या है पूरा मामला…
आपको बता दे कि राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने राज्यसभा में इस मुद्दें को उठाया था जहां केन्द्र सरकार के स्वास्थ मंत्री मनसुख मंडाविया की तरफ से उन्हें बताया गया था कि छत्तीसगढ में वर्ष 2018-19 के दौरान 6448, 2019-20 के दौरान 7406 और 2020-21 के दौरान 11,310 आदिवासी बच्चों की मौत हुई है। इस दौरान प्रवस के वक्त 955 आदिवासी महिलाओं ने भी दम तोड़ा।
केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए इस जवाब को राज्य के मुख्यमंत्री समेत सभी बड़े नेताओं ने झुठला दिया था। राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भी आंकड़े को झुठा करार दिया था।
लेकिन इस पूरे मसले पर जब राज्य के स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहेदव से संवाददाताओं ने बातचीत की तो उन्होंने सच को स्वीकार करते हुए कहा कि इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में नवजात बच्चों की मौत हुई है और मौत के संबंध में केन्द्र सरकार की तरफ से राज्यसभा में जो आकड़े दिए गए है वे प्रदेश के स्वास्थ विभाग ने ही केन्द्र सरकार को मुहैया कराए थे।स्वास्थ मंत्री की उपरोक्त स्वीकारोक्ति ने प्रदेश सरकार को मुश्किल में डाल दिया है और आनेवाले दिनों में सरकार के लिए इस मुद्दे से किनारा करना आसान नही होगा। देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे पर अब किस तरह का रूख अख्तियार करती है।