छत्तीसगढ़

नहीं-नहीं, यह ऐसा है, फिर कलेक्टर ने छात्र को सुनाया संस्कृत का यह श्लोक

जांजगीर-चाम्पा। जिले के शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए अलग-अलग विकासखण्डों और अलग-अलग स्कूलों में लगातार दौरा कर रहे कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा न सिर्फ विद्यालयों में शिक्षकों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित कराने की कोशिश कर रहे हैं, वे अनुपस्थिति या विलंब से आने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्यवाही के निर्देश भी दे रहे हैं।

इसके साथ ही कलेक्टर सिन्हा शिक्षकों को उनका कर्तव्य और विद्यार्थियों को शिक्षा का महत्व भी बता रहे हैं। कलेक्टर सिन्हा कई स्कूलों में शिक्षक की भूमिका में आकर बहुत आत्मीयता के साथ जिले के विद्यार्थियों को पढ़ने-लिखने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनकी इस प्रेरणा का असर कलेक्टर के स्कूल में आते ही दिखने भी लगा है। ऐसे ही बलौदा ब्लाक के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जावलपुर में जब कलेक्टर वहाँ शिक्षकों की उपस्थिति की जांच के बाद क्लास में पहुंचे तो कई विद्यार्थियों को शायद कलेक्टर के सवाल का इंतजार था।

इस बीच कलेक्टर ने भी कुछ विद्यार्थियों को कठिन सा लगने वाले विषय संस्कृत का कोई श्लोक सुनाने कहा। कुछ सेकण्ड तक विद्यार्थी इधर-उधर देखने लगे, कलेक्टर ने प्रोत्साहित करते हुए कहा डरिये नहीं सुनाइये। मैं आपकों कुछ इनाम भी दूंगा। इतने में सामने ही बैठा एक छात्र देवेंद्र खड़ा हुआ और श्लोक पढ़कर सुनाने लगा। छात्र द्वारा सुनाए जा रहे श्लोक में कुछ शब्द छूट गए जो कलेक्टर ने तुरंत ही उन्हें रोकते हुए कहा नहीं-नहीं। यह श्लोक ऐसा है। फिर कलेक्टर ने क्लास में सभी विद्यार्थियों के बीच संस्कृत का यह श्लोक‘ शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे। साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने‘ पढ़कर सुनाया और हिन्दी में भावार्थ भी बताया ( हिन्दी में-सभी पहाड़ों पर मणि नहीं प्राप्त होती, सभी हाथियों में गजामुक्ता नामक मोती नहीं पाये जाते। सज्जन लोग सभी जगह नहीं पाये जाते और चन्दन का वृक्ष सभी वनों में नही पाया जाता। अर्थात ये सब मणि, मोती, साधु, चन्दन का वृक्ष बड़े ही दुर्लभ होते हैं )

कलेक्टर सिन्हा ने विद्यार्थियों को बताया कि 34 साल पहले जब वह कक्षा नवमीं में पढ़ाई करते थे, तब संस्कृत विषय के अनेक श्लोकों को अच्छे से याद किया करते थे। इसलिए उन्हें आज भी यह श्लोक भलीभांति याद है। कलेक्टर ने ‘मैं स्कूल जाता हूं‘ का संस्कृत में अनुवाद पूछा तो पीछे की ओर बैठी छात्रा दीपाक्षी ने इसका सही जवाब देते हुए श्लोक सुनाने की इच्छा जताई। कलेक्टर की सहमति के पश्चात दीपाक्षी ने सुनाया कि ‘अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम्। अधनस्य कुतो मित्रम्, अमित्रस्य कुतः सुखम्‘ ( हिन्दी में-जो आलस करते हैं उन्हें विद्या नहीं मिलती, जिनके पास विद्या नहीं होती, वो धन नहीं कमा सकता, जो निर्धन हैं उनके मित्र नहीं होते और मित्र के बिना सुख की प्राप्ति नहीं होती) कलेक्टर ने दीपाक्षी और देवेन्द्र के लिए सभी विद्यार्थियों से ताली बजवाने के साथ उन्हें बधाई के साथ पुरस्कार भी दिया और सभी को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि कहा कि आप लोग भी अच्छे से पढ़ाई करिये। आपकी पढ़ाई ही आपकों एक दिन सफलता के शिखर पर पहुचाएगी। आपको अच्छी नौकरी मिलेगी। उन्होंने शिक्षकों से भी कहा कि विद्यार्थियों को अच्छे से पढ़ाइये। समय पर स्कूल आइये। शिक्षा व ज्ञान देने में किसी तरह की कोई कमी मत करिए।

Tags

Editorjee News

I am admin of Editorjee.com website. It is Hindi news website. It covers all news from India and World. I updates news from Politics analysis, crime reports, sports updates, entertainment gossip, exclusive pictures and articles, live business information and Chhattisgarh state news. I am giving regularly Raipur and Chhattisgarh News.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close