
रायपुर। आरटीआई एक्टिविस्ट और विसलब्लोअर संजीव अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि आईएसबीएम मामले में उच्च न्यायालय ने राज्य शासन की ओर से दी गई दलील पर फटकार लगाई है।
दरअसल, पैसों के बदले डिग्री के मामले में जांच होने के बावजूद भी अब तक आईएसबीएम यूनिवर्सिटी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस मामले में जांच कमिटी की रिपोर्ट पिछले साल ही आ चुकी है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसलिए इस मामले में संजीव अग्रवाल ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
ज्ञात हो कि रायपुर छत्तीसगढ़ की आईएसबीएम युनिवर्सिटी ने हत्या के आरोप में सजा काट रहे एक कैदी की बिना परीक्षा दिए पैसों के बदले डिग्री बना दी। इसकी सूचना मिलने पर आरटीआई कार्यकर्ता और काँग्रेस नेता संजीव अग्रवाल ने अपने स्तर पर इस मामले में खोजबीन शुरू की और बहुत से दस्तावेज इकट्ठा किए।
संजीव अग्रवाल ने इसकी शिकायत छत्तीसगढ़ शासन के शिक्षा विभाग और दिल्ली में यूजीसी से की। जांच भी हुई लेकिन आईएसबीएम युनिवर्सिटी के मालिक विनय अग्रवाल की पहुंच ने जांच को प्रभावित किया। इसके बाद संजीव अग्रवाल न्यायालय की शरण में जाने का मन बनाया।
आज इसी विषय पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने सरकार के प्रतिनिधि को लताड़ा है कि जब 2021 में जांच हो चुकी है तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई। न्यायालय ने सरकार को जवाब देने के लिए 28 जून 2022 तक का समय दिया है और आगाह किया है कि अगर उस दिन तक उचित जवाब नहीं मिला तो न्यायालय इस विषय में स्वयं हस्तक्षेप करते हुए आगे की कार्रवाई करेगा।
संजीव अग्रवाल ने बताया कि स्वराज मिशन न्यूज़ को इस खबर को दिखाए जाने के बाद आईएसबीएम युनिवर्सिटी द्वारा ईमेल के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से मानहानि की धमकी भी दी जा रही है और वह चैनल भी सभी दस्तावेजों के साथ आईएसबीएम युनिवर्सिटी के ख़िलाफ़ न्यायालय जाने की तैयारी में है।
संजीव अग्रवाल ने न्यायालय का धन्यवाद देते हुए कहा है कि देश में कानून से बड़ा कोई नहीं है और उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है क्योंकि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित कभी नहीं हो सकता है।