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अल्बर्ट आइंस्टीन तथा स्टीफन हॉकिन्स को याद किया विज्ञान सभा ने, आइंस्टीन की नजर से ब्रह्माण्ड को देखने की कोशिश की- प्रो. एसके पांडेय के व्याख्यान से

रायपुर। छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा द्वारा 14 मार्च की शाम महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन के जन्म दिवस पर विशेष ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया था. जिसमें प्रमुख वक्ता प्रोफेसर एसके पांडे पूर्व कुलपति पीआरएसयू रायपुर ने अल्बर्ट आइंस्टाइन के कार्यों तथा उनके जीवन से जुड़े पहलुओं को साझा किया।

उन्होंने अल्बर्ट आइंस्टाइन के बचपन का किस्सा सुनाते हुए कहा कि वे एक औसत दर्जे के छात्र हुआ करते थे तथा एक बार उनके किसी परिचित ने उन्हें उपहार में एक कंपास बॉक्स दिया। कंपास बॉक्स से खेलते खेलते उनकी गणित में गहरी अभिरुचि उत्पन्न हो गई। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने पेटेंट ऑफिस में पेटेंट परीक्षक की नौकरी की परंतु उनकी रूचि भौतिकी तथा प्रकृति के नियमों को खोजने में थी। नौकरी करते हुए उन्होंने अपनी पीएचडी पूरी की तथा 1905 में उन्होंने विशिष्ट सापेक्षता का सिद्धांत दिया था। इससे भी बढ़कर 1916 का उनका सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत रहा। इस सिद्धांत की गूढ़ता का अंदाज इस बात से लगा सकते हैं कि उस समय इसे समझने वाले चंद लोग ही हुआ करते थे। इस सिद्धांत को नोबेल कमेटी के सदस्यों द्वारा यह कहकर नकार दिया गया था कि यह सिद्धांत मात्र एक फेंटेसी है, परंतु आज इसी सिद्धांत की बदौलत दुनिया का कम्युनिकेशन सिस्टम टिका हुआ है।

आइंस्टाइन के प्रसिद्ध समीकरण E = mc स्क्वायर विज्ञान जगत के सबसे महत्वपूर्ण समीकरणों में से एक है, यह वही समीकरण है जिसकी सहायता से परमाणु बम बना। प्रोफेसर एस के पांडे ने बताया कि जब अल्बर्ट आइंस्टाइन को पता चला कि परमाणु बम से जापान में लाखों लोग मारे गए तब वे रोये थे। आज के दिनांक में जहां भौतिकी के एक सितारे का उदय हुआ था वही एक सितारे का अस्त भी हुआ था। प्रोफेसर एसके पांडे ने स्टीफन हॉकिंस के प्रमुख कार्यों जैसे ब्लैक होल इत्यादि पर भी चर्चा की।

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ तथा अन्य प्रदेश से सैकड़ों बुद्धिजीवी विद्यार्थी एवं विज्ञान के प्रति उत्सुक लोग जुड़े हुए थे वेबीनार में gravitational-waves तथा टाइम ट्रेवल जैसे घटनाओं से संबंधित रोचक सवाल जवाब हुए। वेबिनार की प्रस्तावना सीबीएस पीआरएसयू से डॉ लक्ष्मीकांत चावरे ने रखी थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता, छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के अध्यक्ष प्रसिद्ध वनस्पति विज्ञानी प्रोफेसर एम एल नायक द्वारा किया गया। आभार व्यक्त छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के राज्य सचिव पर्यावरणविद् डॉ वाय के सोना ने किया तथा वेबीनार का संचालन व्याख्याता अजय कुमार भोई ने किया।

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