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2020 तक सभी नगरीय निकायों को पेयजल आपूर्ति की दृष्टि से टैंकर मुक्त करें: मुख्यमंत्री

रायपुर: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज अपने निवास कार्यालय में विभागीय समीक्षा बैठक में आगामी खरीफ फसल के लिए खाद,बीज और उर्वरकों की उपलब्धता, शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की समस्या के साथ-साथ नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी तथा अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में मुख्य सचिव श्री सुनील कुजूर, पुलिस महानिदेशक श्री डी.एम. अवस्थी, अपर मुख्य सचिवगण सर्वश्री के.डी.पी.राव, आर.पी. मंडल, अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री गौरव द्विवेदी सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

बैठक में मुख्यमंत्री ने अभी भी शहरी क्षेत्रों के अनेक हिस्सों में टैंकरों के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति किए जाने पर अप्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि ऐसे उपाय सुनिश्चित करें जिससे आगामी गर्मी के मौसम वर्ष 2020 तक पानी उपलब्ध कराने के लिए टेंकरों की आवश्यकता नहीं पड़े।

उन्होंने इसके लिए सभी नगरीय निकायों विशेषकर रायपुर, भिलाई आदि जहां हर साल गर्मी में पेयजल समस्या आती है उन्हें चिन्हांकित कर स्मार्ट सिटी परियोजना और अमृत योजना आदि के माध्यम से समस्या का समाधान करने को कहा।

बैठक में अधिकारियों ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में पेयजल की समस्या दूर करने के लिए नगरीय निकायों को 20 करोड़ रूपए की राशि जारी की गई थी। इसके अलावा 25 करोड़ रूपए की और मांग आने पर पेयजल की व्यवस्था के लिए राशि जारी की गई है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्धता के लिए वर्षा के जल संग्रहण करने, तालाबों के माध्यम से पानी को रोकने और सरफेस वाटर का अधिक से अधिक उपयोग करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा भूगर्भ का पानी जहां खारा होता है, वहीं इसमें मिनरल्स भी मिले रहते हैं। छत्तीसगढ़ में परम्परागत रूप से वर्षा जल को रोकने के लिए तालाबों का निर्माण किया जाता था और पानी को ‘पैठू’ सिस्टम के माध्यम से फिल्टर कर तालाबों में डाला जाता था।

साफ-सफाई के अभाव में नालियों का गंदा पानी सड़कों तक आ जाता

इसी तरह गांव में निस्तारी, मवेशियों के साथ-साथ पेयजल के लिए एक-एक तालाब को सुरक्षित रखा जाता था। आज छत्तीसगढ़ की ऐसे गांव जहां फ्लोराइड, आयरन और आर्सेनिक जैसी समस्याएं हैं, वहंा विशेष रूप से तालाबों की परम्पराओं को बढ़ावा दिए जाने की और ऐसे सरफेस वाटर के माध्यम से पेयजल आपूर्ति करने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से बरसात के पूर्व शहरों के नालों और नालियों की ईमानदारीपूर्वक सफाई कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा साफ-सफाई के अभाव में नालियों का गंदा पानी सड़कों तक आ जाता है और चर्म रोगों को फैलाता है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष भूगर्भ जल स्तर का वॉटर लेवल ठीक है, किन्तु बेमेतरा जिले के 109 गांवों में हैण्डपंप सूख गए हैं।

इन गांवों में जल आपूर्ति की जा रही है तथा समूह जल प्रदाय योजना के माध्यम से पानी का प्रदाय किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने गौठानों के माध्यम से पशुओं के लिए पानी और छाया की व्यवस्था करने तथा डे-केयर करने को कहा। उन्होंने इन गौठानों में गोबर गैस संयंत्र और वर्मी खाद तैयार करने को कहा।

उन्होंने यहां छायादार और फलदार पौधे भी लगाने को कहा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव ने नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी के प्रयासों तथा इसके माध्यम से विभिन्न जिलों मुंगेली, बिलासपुर और बलरामपुर आदि में हो रहे सकारात्मक एवं उत्कृष्ट कार्यों की जानकारी दी।

खरीफ फसल के लिए 8 लाख 50 हजार क्विंटल बीज की मांग

उन्होंने बताया कि प्रदेश में 1898 गौठान बन रहे हैं। यहां पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है और शीघ्र ही सोलर ऊर्जा के माध्यम से पानी की आपूर्ति भी की जाएगी। बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त ने बताया कि प्रदेश में खाद और बीज की संतोषप्रद उपलब्धता है और वितरण हो रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में खरीफ फसल के लिए 8 लाख 50 हजार क्विंटल बीज की मांग के विरूद्ध 4 लाख 29 हजार क्विंटल बीज का भंडारण किया गया है, इनमें 20 हजार 934 क्विंटल बीज का वितरण किया जा चुका है।

इसी प्रकार खरीफ मौसम के लिए 10 लाख 50 हजार में टन खाद की मांग के विरूद्ध 4 लाख 99 हजार 701 मे.टन. खाद का भंडारण किया गया है, इनमें 92 हजार 876 में.टन खाद का वितरण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में भंडारण तथा वितरण काफी अधिक हुआ है और कहीं भी दिक्कत नहीं है।

बैठक में बताया गया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के रहवासियों के विरूद्ध दर्ज प्रकरणों की समीक्षा माननीय न्यायमूर्ति श्री ए.के.पटनायक (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा की जा रही है और इसकी पहली बैठक हो चुकी है।

इसमें करीब चार सौ प्रकरणों की समीक्षा की जा रही जिसमें करीब चार हजार लोग प्रभावित है। इसमें अनेक लोग ऐसे हैं, जिन पर छोटे-मोटे अपराधों के कारण प्रकरण दर्ज किया गया है। इसकी अगली बैठक 22 जून को प्रस्तावित है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जेल में छोटे-मोटे अपराधों के कारण बंद विचाराधीन कैदियों की जानकारी लें और ऐसे कैदी जो अपराध के लिए आरोपित धारा के तहत निर्धारित सजा की अवधि से ज्यादा समय तक जेल में कैद रहे हैं उन्हें मुक्त करने के लिए उचित कदम उठाएं। उन्होंने अधिकारियों को फर्जी चिटफंड कम्पनियों के मामलों में लोगों की धनराशि वापस दिलाने के लिए भी समुचित कार्य करने को कहा।

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