
नई दिल्ली : पहलगाम हमले के बाद जहां भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, वहीं पाकिस्तान को अब अपने ही देश के भीतर से बलूचिस्तान के विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। बलूच विद्रोहियों ने एक बार फिर पाकिस्तानी सेना और सुरक्षाबलों को निशाना बनाते हुए बड़े पैमाने पर हमले किए हैं, जिससे पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा और अर्थव्यवस्था दोनों खतरे में आ गई हैं।
बलूचिस्तान में पाक सेना बैकफुट पर
बलूच विद्रोही गुटों ने पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों और सरकारी संस्थानों पर हमले कर कई इलाकों में आगजनी की है। पाकिस्तानी सुरक्षाबल कई स्थानों पर बैकफुट पर नजर आए। ये हमले बलूचिस्तान की आजादी की मांग को लेकर हो रहे हैं, जिसने पाकिस्तान को अंदर से कमजोर करना शुरू कर दिया है।
बलूचिस्तान के अलग होने पर पाकिस्तान को होंगे ये बड़े झटके:
🇵🇰 सबसे बड़ा प्रांत, रणनीतिक रूप से अहम
- बलूचिस्तान का क्षेत्रफल: 347,190 वर्ग किमी (पाकिस्तान का 44%)
- सीमाएं: ईरान और अफगानिस्तान से लगती हैं – रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम
खनिजों का खजाना
- 59 बिलियन टन खनिज भंडार, जिसमें तांबा और सोना शामिल
- अकेले रेको दिक क्षेत्र में 60 मिलियन औंस सोना
- तांबे का अनुमानित मूल्य: ₹174.42 लाख करोड़
- यदि बलूचिस्तान अलग होता है, तो पाकिस्तान को खनिज संसाधनों का बड़ा नुकसान होगा
ऊर्जा संकट
- पाकिस्तान की प्राकृतिक गैस आपूर्ति का बड़ा हिस्सा यहीं से आता है
- बलूचिस्तान के अलग होने पर पाकिस्तान को महंगी ऊर्जा आयात करनी पड़ सकती है
कृषि उत्पादन में भी अग्रणी
- पाकिस्तान की:
- 90% चेरी, अंगूर, बादाम
- 60% खुबानी, आड़ू, अनार
- 70% खजूर
- 34% सेब
- अकेले मकरान डिवीजन: 4.25 लाख टन खजूर/वर्ष
पर्यटन से कमाई की अपार संभावनाएं
- ऐतिहासिक स्थल: मेहरगढ़ सभ्यता, कायद-ए-आज़म रेजिडेंसी (ज़ियारत)
- प्राकृतिक स्थल: दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जुनिपर जंगल
- बेहतर विकास और प्रचार के ज़रिए यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र बन सकता है
CPEC और कूटनीतिक असर
बलूचिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) का बड़ा हिस्सा आता है। यदि यह प्रांत अलग हुआ तो चीन की रणनीतिक परियोजनाओं पर भी असर पड़ेगा, जिससे पाकिस्तान का कूटनीतिक प्रभाव कमजोर हो सकता है।
बलूचिस्तान के अलग होने की स्थिति में पाकिस्तान को आर्थिक, ऊर्जा, कृषि, पर्यटन और सुरक्षा के मोर्चों पर गहरा नुकसान हो सकता है। लगातार विद्रोही हमलों और बढ़ती आजादी की मांग ने पाकिस्तान के सामने आंतरिक संकट खड़ा कर दिया है।