डबडबायी आंखें और रूंधे गले के साथ मतदान करने पहुंचा भीमा मंडावी का परिवार, लोकतंत्र के पर्व को बेटे के बलिदान से भी बड़ा बना दिया
जगदलपुर। अभी चिता की आग ठंडी भी नहीं पड़ी थी। पिता और पत्नी की आंख के आंसू सूखे भी नहीं थे। रोने के अलावे परिजनों के गले से कोई शब्द भी अभी तक नही निकला था। फिर भी वह परिवार मतदान करने पहुंच गया और लाइन में लगकर लोकतंत्र के पर्व को बेटे के बलिदान से भी बड़ा बना दिया।
इसे लोकतंत्र के प्रति आस्था कहें या जवान बेटे की अंतिम इच्छा पूरी करने का प्रयास जिसके लिए भाजपा विधायक रहे भीमा मंडावी के परिवार ने आज अपने मताधिकार का प्रयोग किया। अभी बेटे की मौत को चंद घंटे ही बीते थे फिर भी पिता लिंगा राम मंडावी ने लोकतंत्र में अपने मताधिकार का प्रयोग करके अपने बेटे की आहुति को और मजबूती प्रदान की।
जी हां नक्सल हमले में शहीद हुए विधायक भीमा मंडावी के गृहग्राम गदापाल में लगभग 1100 मतदाता है। दोपहर एक बजे तक यहां लगभग 40 फीसदी मतदान हो गया था। यह अनुमान लगाया जा रहा था कि विधायक की हत्या के बाद शायद ही इस गांव में लोग मतदान में रूचि लें लेकिन यह संभावना भी गलत साबित हुई और लोग अपने घरों से वोट देने निकले।
लोगों को आश्यर्च तो तब हुआ जब स्व. भीमा मंडावी के पिता भी डबडबायी आंखों के साथ अपने परिवार सहित पोलिंग बूथ पहुंचे, पत्नी ओजस्वी का गला भी रूंधा हुआ था। लेकिन मतदान करना उन्होने बेहद जरूरी समझा। आज भीमा मंडावी को भी अपने परिवार पर गर्व हो रहा होगा।