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बड़े शहरों को छोड़ बस्तरवासियों की सेवा में लगा बस्तर का डॉक्टर बेटा, सीएम ने किया सम्मान

दिनेश गुप्ता,दंतेवाड़ा। आज के दौर में जब युवा पीढ़ी डिग्री लेकर अपने जन्मभूमि को छोड़कर बड़े-बड़े महानगरों में रहकर कार्य करना पसंद करते हैं वहीं एक बस्तर का बेटा बड़े शहरों को छोड़कर पिछड़े इलाके में अपनी सेवा दे रहा है।

दंतेवाड़ा के जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. राजेश ध्रुव शिशु रोग विशेषज्ञ के रूप में लोगों के सेवा कर रहे हैं। अभी हाल में ही शिशु स्वास्थ्य में बेहतर कार्य हेतु एक प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार के आईसीओएनएस ऑफ हैल्थ 2019 प्रोग्राम के तहत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों सम्मानित भी किया गया।

मूलतः बस्तर के जगदलपुर में जन्में डॉ. राजेश ध्रुव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जगदलपुर से पूरी की। एमबीबीएस की पढ़ाई इंदौर से पूरी करने कर बाद लगभग 10 साल जबलपुर में लेक्चरर के तौर पर अपनी सेवाएं दी। भिलाई और रायपुर में भी 1 साल तक कार्य किया। 2015 में इनकी पदस्थापना दंतेवाड़ा में हुईं।

दंतेवाड़ा आने के बाद शिशु मृत्यु दर में कमी लाने पर अपना पूरा फोकस दिया। ग्रामीणों को जागरूक करने इन्होंने फील्ड में काम करने वाले जूनियर डॉक्टर, नर्सो को भी प्रशिक्षित किया। डॉ. राजेश ध्रुव की कार्यकुशलता को देखते हुए इन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र जो कि छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा पुनर्वास केंद्र है एवं एसएनसीयू यूनिट का नोडल अधिकारी भी बनाया गया।

चर्चा में डॉ. राजेश ध्रुव ने बताया कि इस सम्मान का पूरा श्रेय मैं अपनी माताजी को देना चाहूंगा, जो अब इस दुनिया में नहीं है। मुझे याद है वो दिन जब मुझे दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में जॉब करने का ऑफर मिला तब सबसे पहले मैंने अपनी माताजी को फोन किया। तब मेरी माताजी ने एक ही शब्द कहा “बेटा माँ दंतेश्वरी का बुलावा आ गया है अब आ जाओ“

इतना सुनते ही मुझे मेरी माताजी को जवाब देने मेरे पास शब्द नहीं थे। मैंने तुरन्त फैसला लिया और वापस आ गया। दंतेवाड़ा पहुँचने के बाद मैनें देखा यहाँ ग्रामीण जागरूकता की कमी के चलते अपने बच्चों की जान गवां रहे हैं।

आज भी नक्सल प्रभावित इलाकों के ग्रामीण झाड़ फूक, बेगा पर ज्यादा भरोसा दिखाते हैं। दंतेवाड़ा जिले में काम करना मेरे लिए बहुत आसान नहीं था। यहाँ लोग तब अपने बच्चों अस्पताल लाते थे जब उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो जाती थी, ऐसे में उन्हें जल्द स्वस्थ कर पाना मुश्किल था।

इस कारण मैनें अपने फील्ड में काम करने वाले डॉक्टरों व नर्सों को प्रशिक्षित करना शुरू किया। पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना होने से मुझे बहुत सहयोग मिला। उन्होंने आगे बताया कि जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. एमके नायक व सभी सीनियर डॉक्टरों के मार्गदर्शन से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला।

दंतेवाड़ा जैसे छोटे जिले में 100 बिस्तर वाला यह अस्पताल अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। यहां ग्रामीणों की सेवा कर जो शांति मिलती है, वो किसी बड़े अस्पताल में काम करने से नहीं मिल सकती।

उल्लेखनीय है कि डॉ राजेश के कुशल मार्गदर्शन एसएनसीयू यूनिट में मात्र एक साल में करीब 500 सौ बच्चों को स्वस्थ किया जा चुका है। वहीं पोषण पुनर्वास केंद्र की उपलब्धि भी डॉ. ध्रुव की कार्य कुशलता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री द्वारा सम्मान मिलने पर जिला अस्पताल के समस्त स्टाफ व नगरवासियों के डॉ. राजेश ध्रुव को बधाई दी है।

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