भारत ने छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन एवं जवाबदेही कार्यक्रम के लिए विश्व बैंक के साथ 25.2 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए

वित्त मंत्रालय: भारत सरकार, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और विश्व बैंक ने आज नई दिल्ली में राज्य के व्यय प्रबंधन में सुधार लाने में सहायता प्रदान करने के लिए 25.2 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस सहायता के तहत व्यय की योजना, निवेश प्रबंधन, बजट कार्यान्वयन, सार्वजनिक खरीद एवं जवाबदेही को कवर किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन एवं जवाबदेही कार्यक्रम, जो लगभग एक दशक भर से छत्तीसगढ़ में विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित प्रथम राज्य स्तरीय परियोजना है, इससे राज्य को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) और कर प्रशासन प्रणालियों को मजबूती प्रदान करने में भी मदद मिलेगी।
नई परियोजना राज्य के मानव संसाधनों और सार्वजनिक वित्त के प्रबंधन की व्यवस्था करने वाली संस्थाओं का क्षमता निर्माण करेगी। विश्व बैंक के विश्वस्तरीय अनुभवों के साथ-साथ अन्य भारतीय राज्यों में उसके द्वारा किये गए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन (पीएफएम) सुधारों से मिली सीख से भी छत्तीसगढ़ को लाभ पहुंचेगा।
इस अवसर पर अपने विचार प्रकट करते हुए समीर कुमार खरे, अपर सचिव, आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार ऐसे सुधारों का समर्थन करती है, जो सार्वजनिक व्यय प्रबंधन में सुधार लाने के लिए प्रयासरत हैं। छत्तीसगढ़ पीएफएम राज्य द्वारा चिन्हित प्राथमिकताओं तथा सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन के संबंध में जारी सुधारों से हो रही प्रगति को प्रतिबिंबित करते हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से सुकमल प्रीत ढिल्लों
ऋण समझौते पर भारत सरकार की ओर से समीर कुमार खरे, अपर सचिव, आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से सुकमल प्रीत ढिल्लों, सचिव, वित्त और विश्व बैंक की ओर से एक्टिंग कंट्री डायरेक्टर, हिशम अब्दो ने हस्ताक्षर किए।
ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद विश्व बैंक के एक्टिंग कंट्री डायरेक्टर, हिशम अब्दो ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने विकास की क्षमता को प्राप्त करने की दिशा में प्रमुख कदम के तौर पर सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में सुधार लाने की पहचान करते हुए बिल्कुल सही कदम उठाया है। इससे राज्य गरीबों और असहाय लोगों के लाभ के लिए व्यापक दक्षता के साथ और अधिक धनराशि का निवेश कर सकेगा। उन्होंने कहा कि आईटी समाधानों पर ध्यान केन्द्रित करने वाली इस नई परियोजना से राज्य की लगभग 11000 ग्राम पंचायतें और 168 शहरी नगर पालिकाएं लाभान्वित होंगी।
राज्य के 92 प्रतिशत परिवार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों से संबंधित हैं। ऐसे में केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा परिवारों और व्यक्तियों तक संसाधन पहुंचाने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) का तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है।
सार्वजनिक व्यय का 60 प्रतिशत अब राज्य स्तर पर
छत्तीसगढ़ की लगभग 11000 ग्राम पंचायतों और 168 शहरी नगर पालिकाओं के पारदर्शिता और जवाबदेही पर बल देने वाले इस कार्यक्रम से लाभान्वित होने की संभावना है।
विश्व बैंक के वरिष्ठ वित्तीय प्रबंधन विशेषज्ञ मनविन्दर मामक और पापिया भट्टाचार्य तथा कार्यक्रम के लिए प्रमुख अर्थशास्त्री एवं टास्क टीम लीडर्स जॉन ब्लोमक्विस्ट ने कहा कि करों का अधिक हिस्सा राज्यों को मिलने के साथ सार्वजनिक व्यय का 60 प्रतिशत अब राज्य स्तर पर होता है। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के अंतर्राष्ट्रीय अनुभव और भारत के अन्य राज्यों से मिली सीख से छत्तीसगढ़ को उचित समाधान तलाशने में मदद मिलेगी।
विश्व बैंक से मिले 25.2 मिलियन डॉलर ऋण के लिए पांच साल की अनुग्रह अवधि है और अंतिम मियाद 10.5 साल है।