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आलेख : गौठान बन रहा छत्तीसगढ़ की पहचान

जीतेश्वरी, शोधार्थी/रायपुर। आज जिस तेजी से गांवों की संस्कृति का क्षरण हो रहा है और गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं वह चिंतनीय है। गांवों के विकास को ध्यान में रखकर जैसी योजनाएं बनाई जानी थी दुर्भाग्यवश वैसी योजनाएं नहीं बनाई गई है। जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि ग्रामीण किसानों और मजदूरों की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय होती चली गई।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा है कि भारत गांवों का देश है। गांवों के समग्र विकास से ही पूरे भारत का विकास संभव है। गांव के लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाना, उन्हें रोजगारोन्मुखी बनाना किसी भी सरकार की पहली प्राथमिकता में शामिल हो तो देश की छवि पूरी दुनिया में सुदृढ़ हो सकती है।

किसी भी प्रदेश की सरकार द्वारा गांवों को लेकर ऐसी कोई योजना नहीं बनाई गई है जिससे गांवों का समुचित विकास संभव हो सके। लेकिन यह हम सब छत्तीसगढ़वासियों के लिए गौरव की बात है कि हमारे प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल जी की सरकार ने गांवों के विकास को अपनी पहली प्राथमिकता के सर्वोच्च स्थान पर रखा है।

‘नरवा गरवा घुरवा बारी’ छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नाम से छत्तीसगढ़ की सरकार गांवों के समग्र विकास को लेकर अनेक दूरगामी योजनाओं का क्रियान्वन कर रही है। जिसके फलस्वरूप ग्रामीणों को इस योजना से रोजगार के अवसर मिलने के साथ-साथ अपनी संस्कृति को बचाए रखने में भी मदद मिल रही है।

इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए मुखमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य में ‘गोधन न्याय योजना’ जैसी एक महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहार हरेली (20 जुलाई 2020) से की है।

प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस योजना में किसानों, मजदूरों और सभी ग्रामीणों को रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के साथ-साथ उनकी मूलभूत जरूरतों का भी ध्यान रखा है। यह देश की पहली ऐसी सरकार है जिसने गांव – गांव में गौठान निर्मित कर पशुओं को सुरक्षित रखने का संकल्प लिया है।

‘गोधन न्याय योजना’ के माध्यम से प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति को एक बार फिर से जीवित करने की कोशिश की है।

‘गोधन न्याय योजना’ लिए 5300 गौठान स्वीकृत किए गए हैं जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2408, शहरी क्षेत्रों में 377 गौठान पूर्ण हो चुके हैं।

अक्सर सरकारी योजनाएं फाइलों में ही दम तोड़ देती है। लेकिन यह श्री भूपेश बघेल जी के मार्गदर्शन और सतत प्रयास का ही परिणाम है कि छत्तीसगढ़ में यह योजनाएं फल-फूल रही है।

गौठान के माध्यम से गौठान समितियों को प्रतिमाह 10 हजार रुपए की अनुदान राशि देने का प्रावधान किया गया है। चारागाह विकास हेतु 2800 ग्रामों का स्थल भी चयनित किया जा चुका है। नेपियर, बरसीम, मक्का आदि चारा उगाए जाने संबंधी कार्य निरंतर प्रगति पर है।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित ‘गोधन न्याय योजना’ आज पूरे देश में ग्रामीण विकास के क्षेत्र में एक नया प्रतिमान बन चुका है। किसी भी राज्य सरकार या केंद्र सरकार ने गांवों के सम्पूर्ण विकास के लिए इस तरह की कोई सार्थक पहल नहीं की है जिस तरह की सार्थक पहल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने छत्तीसगढ़ में किया है।

गौठानों में जल प्रदाय हेतु नलकूप खनन के लिए सरकार ने 5 करोड़ रुपए का बजट तैयार किया है। इसके साथ ही गौठानों में पशुओं के चारे के लिए पैरे के रख-रखाव को सरल बनाने हेतू चौकोर बेलर क्रय करने के लिए नवीन मद में 6 करोड़ के बजट का प्रावधान भी किया है।

‘गोधन न्याय योजना’ सरकार की एक दूरगामी योजना है। इस योजना में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट का सहकारी समितियों के माध्यम से प्राथमिकता के आधार पर किसानों को 8 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय किए जाने के साथ ही लैंपस एवं प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति के अल्पकालीन कृषि ऋण के अंतर्गत सामग्री घटक में जैविक खाद ( वर्मी कम्पोस्ट ) को शामिल करने का भी प्रशंसनीय निर्णय लिया गया है।

अपने प्रदेश की जनता के सुख-दुख और उनकी जरूरतों को अपने विकास कार्यों की सूची में पहली प्राथमिकता देना छत्तीसगढ़ सरकार का प्रमुख उद्देश्य है। यही कारण है कि ‘ गोधन न्याय योजना ‘ के तहत 1 हजार 176 बायोगैस संयत्र स्थापना का भी लक्ष्य रखा गया है जिसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 450 करोड़ की राशि तय की है।

‘गोधन न्याय योजना’ छत्तीसगढ़ सरकार की एक महती योजना है जिसके अंतर्गत अब तक स्व-सहायता समूहों द्वारा सीमेंट, पोल, चेन लिंक फेंस, फ्लाईऐश ब्रिक्स, जैविक खाद, गौमूत्र से जैविक कीटनाशक निर्माण व गैस प्लांट का संचालन करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य प्रारंभ किए जा चुके हैं।

‘गोधन न्याय योजना’ के कारण ग्रामीणों को रोजगार के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़ रहा है। वे गोबर के खाद से जैविक खेती कर रहे हैं। यही नहीं बल्कि ग्रामीण महिलाएं गोबर से दीए भी बना रही है। पिछले वर्ष की दीपावली में अनेक घरों को गोबर से निर्मित दीयों के प्रकाश ने आलोकित किया है। इस तरह प्रदेश भर की ग्रामीण महिलाएं गौठानों में काम कर आज स्वावलंबी बन रही हैं और अपने परिवार के विकास में सहायक सिद्ध हो रही हैं।

यह छत्तीसगढ़ राज्य के संवेदनशील और कर्मठ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की दूरगामी योजना का ही परिणाम है कि अब छत्तीसगढ़ के गांवों में हरियाली और खुशहाली की एक नई बयार बह रही है।

‘नरवा गरवा घुरवा बारी’ छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान निर्मित करने में सफल हो रही है।

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