
नई दिल्लीः भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम करने में अपने एयर डिफेंस सिस्टम के साथ जिस नए हथियार का उपयोग किया है, वह है SAMAR मिसाइल — एक छोटा लेकिन बेहद घातक देसी सिस्टम। खास बात यह है कि इसे पुरानी रूसी मिसाइलों को मॉडिफाई कर भारतीय वायुसेना ने खुद तैयार किया है।
क्या है SAMAR?
SAMAR का फुलफॉर्म है Surface to Air Missile for Assured Retaliation। यह छोटी दूरी की मिसाइल है, जिसे ड्रोन, हेलिकॉप्टर और दुश्मन के फाइटर जेट को आसमान में ही ढेर करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी रफ्तार लगभग 3000 किमी/घंटा है और यह दुश्मन को पल भर में खत्म कर सकती है।
दो वेरिएंट्स में उपलब्ध:
- SAMAR-1:
- वजन: 105 किलोग्राम
- लंबाई: 10 फीट
- मारक क्षमता: 12–40 किमी
- SAMAR-2:
- वजन: 253 किलोग्राम
- लंबाई: 13.4 फीट
- मारक क्षमता: 12–40 किमी
कैसे करता है काम?
SAMAR को ट्रक पर आसानी से तैनात किया जा सकता है, जिससे यह मोबाइल और फुर्तीला बन जाता है। यह खासतौर पर कम ऊंचाई पर उड़ने वाले खतरों को निशाना बनाता है। यह दो मिसाइलों को एक साथ या अलग-अलग दागने की क्षमता रखता है, जिससे इसका हमला और भी असरदार हो जाता है।
तैनाती और सफलता
वर्तमान में SAMAR को लद्दाख, जम्मू, पंजाब जैसे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किया गया है। हाल ही में पाकिस्तान द्वारा भेजे गए कई ड्रोन इसी मिसाइल से मार गिराए गए हैं। 2024 के करगिल विजय दिवस पर इसे लद्दाख में पहली बार प्रदर्शित किया गया था।
कैसे बना SAMAR?
रूस की R-73E और R-27 जैसी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें भारतीय वायुसेना के पास थीं, जिनकी उम्र खत्म हो रही थी। इन्हें बेकार करने की बजाय वायुसेना की 7 Base Repair Depot (BRD) यूनिट ने इन मिसाइलों को नए स्वरूप में तैयार किया और बना दिया SAMAR। इसका पहला सफल परीक्षण 17 दिसंबर 2023 को ‘अस्त्रशक्ति-2023’ में और दूसरा प्रदर्शन फरवरी 2024 के ‘वायुशक्ति-2024’ में हुआ।