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लखनऊ: छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग लगातार तेज हो रही है तो दूसरी ओर कुछ राज्य ऐसे हैं जहां संविदा कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की तैयारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि 15 दिन के भीतर हजारों संविदा कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे। प्रदेश सरकार ने मैन पावर सप्लाई करने वाली एजेंसियों की मनमानी को पूरी तरह खत्म करने के लिए ऐसा फैसला लिया है।
मिली जानकारी के अनुसार विद्युत विभाग में संविदा के तौर पर तैनात कर्मचारी कुर्सी तोड़ते हुए बैठे हैं तो कुछ ड्यूटी के दौरान अपने ही घर पर नींद भांज रहे हैं। बताया जा रहा है कि अब इन कर्मचारियों के लिए विभाग के पास काम ही नहीं बचा है। विद्युत विभाग के अधिकारियों की मानें तो ओटीएस के बाद बकाएदारों की संख्या न के बराबर बची और इन कर्मचारियों को बिजली बिल जारी करने और वसूली के लिए ही रखा गया था। अब इन संविदा कर्मियों से बिजली की मरम्मत से जुड़ा कोई काम नहीं लिया जा रहा है।
अगर यह सर्वे पूरे मध्यांचल के 19 जिलों में किया जाए तो काम करने वाले संविदाकर्मी वास्तव में साठ फीसद ही निकलेंगे। इससे राजस्व को हर माह करोड़ों की चपत लग रही है। बिजली विभाग के सूत्र बताते हैं कि अधिकांश संविदाकर्मी उपभोक्ताओं का शोषण कर रहे हैं। यह संविदाकर्मी गलत तरीके से कनेक्शन करवाने, शादी बारातों में लाइन जोड़ने, मीटर बदलवाने, धीमा करने जैसे काम में पहले भी संलिप्त पाए गए हैं।
अब तीन सदस्यीय टीम सर्किल दो व सर्किल नौ में कार्यरत संविदा कर्मियों के भविष्य पर फैसला करेगी। तीन सदस्यीय कमेटी में अधिशासी अभियंता (परीक्षण खंड द्वितीय) पवन वर्मा, उपखंड अधिकारी योगेश कुमार सिंह व लेखाकार मो. बिलाल हैं। अधीक्षण अभियंता यदुनाथ राम ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि मेसर्स अवनी परिधि से अनुपयोगी कर्मियों को हटाकर निष्ठावान व काम करने वाले संविदाकर्मी रखे जाएं।
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