नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई का सीधा प्रसारण करने की मांग का विरोध किया है। सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि इसमें न तो राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है और न ही मौलिक अधिकार का उल्लंघन शामिल है। ऐसें में सुनवाई का सीधा प्रसारण नहीं किया जा सकता है।
सरकार ने उच्च न्यायालय में कहा कि ‘देश की आबादी का बहुमत मौजूदा मामले और इसकी अदालती कार्यवाही से बहुत अधिक प्रभावित नहीं है। ‘न्याय व्यवस्था की अदालती कार्यवाही देखने वाले या इसके लिए यूट्यूब चैनल की सदस्यता लेने वाले लोगों की संख्या पर कोई असर नहीं पड़ता है। सरकार ने न्यायालय को बताया कि कोर्ट कार्यवाही के सीधा प्रसारण की अन्य देशों से तुलना नहीं की जा सकती। सॉफ्टवेयर इंजीनियर अखिलेश गोदी, मुंबई के डॉ. प्रसाद राज दांडेकर और एमबीए श्रीपद रानाडे ने न्यायालय में अर्जी दाखिल कर समलैंगिक विवाह की मान्यता देने की मांग पर हो रही सुनवाई का सीधा प्रसारण करने की मांग की है। सरकार ने कहा कि कार्यवाही का सीधा प्रसारण सामाजिक पहुंच न्याय व्यवस्था का हिस्सा नहीं हो सकती है।
केंद्र सरकार ने कहा कि संवैधानिक अदालतों में राष्ट्रीय महत्व के कई मामले रहे हैं, जहां कार्यवाही के सीधे प्रसारण के अनुरोध या अनुमति नहीं दी गई है। सरकार ने कहा, अदालत में आने वाला हर मामला महत्वपूर्ण है और हर मामले का सीधा प्रसारण संभव नहीं है। न्यायालय को तथ्यों और कानून के आधार पर निर्णय लेने की जरूरत है, जनता का ध्यान आकर्षित करने या आकर्षित करने के लिए नहीं।