रायपर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मजदूर दिवस यानी एक मई को श्रम को सम्मान देने के लिए सभी से बोरे बासी खाने की अपील लोगों से की है। मुख्यमंत्री ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा, छत्तीसगढ़ मेहनतकश लोगों का प्रदेश है। इस पावन भूमि को हमारे किसानों और श्रमिक भाइयों ने अपने मेहनत के पसीने से उर्वर बनाया है। इस देश और प्रदेश को हमारे किसानों और मजदूर भाइयों ने ही अपने मजबूत कंधों पर संभाल रखा है। एक मई को हम हर साल इन्हीं मेहनतकश लोगों के प्रति अपना आभार व्यक्त करने के लिए मजदूर दिवस मनाते हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, सबको पता है कि हर छत्तीसगढ़िया के आहार में बोरे बासी का कितना महत्व है। हमारे श्रमिक भाइयों, किसान भाइयों और हर काम में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली हमारी बहनों के पसीने की हर बूंद में बासी की महक है। मुख्यमंत्री ने कहा, जब हम कहते हैं कि “बटकी में बासी अउ चुटकी में नून’ तो यह सिंगार हमें हमारी संस्कृति से जोड़ता है। “गजब विटामिन भरे हुए हे छत्तीसगढ़ के बासी मा।’
अपने आहार और संस्कृति के गौरव की अनुभूति के लिए 1 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel ने प्रदेश वासियों और देश -विदेश के कोने -कोने में बसे छत्तीसगढ़ के सभी लोगों से बोरे-बासी खाकर
श्रम को सम्मान देने की अपील की है।#LabourDay2022 #बोरे_बासी#cgmodel https://t.co/seFry2PLWm— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) April 28, 2022
मुख्यमंत्री ने कहा, युवा पीढ़ी को हमारे आहार और संस्कृति के गौरव का एहसास कराना बहुत जरूरी है। एक मई को हम सब बोरे बासी के साथ आमा के थान और गोंदली के साथ हर घर में बोरे बासी खाएं और अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व महसूस करें। उन्होंने कहा, गर्मी के दिनों में बोरे बासी शरीर को ठंडा रखता है। पाचन शक्ति बढ़ाता है। त्वचा की कोमलता और वजन संतुलित करने में भी यह रामबाण है। बोरे बासी में सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
क्या है यह बोरे बासी
बोरे बासी छतीसगढ़ का प्रमुख और प्रचलित व्यंजन है। बोरे बासी का मतलब होता है रात के पके चावल को रात को भिगो कर या सुबह भिगो कर खाना या सुबह के पके चावल को दोपहर में खाना। इसमें स्वादानुसार नमक मिलाया जाता है। फिर सब्जी, प्याज, आचार, पापड़, इत्यादि के साथ खाया जाता है।