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लोकसभा चुनाव में बीजेपी को छोड़कर सभी ने काटे सवर्णों के टिकट

लखनऊ. इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को छोड़कर सभी पार्टियों ने सवर्णों के टिकट कम कर दिए। सबसे ज्यादा सवर्णों के टिकट समाजवादी पार्टी ने काटे हैं। उसके बाद कांग्रेस ने भी सवर्ण उम्मीदवारों की संख्या पिछले चुनावों की तुलना में कम कर दी है। हालांकि, बीएसपी ने गठबंधन के बाद भी सोशल इंजिनियरिंग पर अपना दांव लगाया है। राजनैतिक पार्टियों में जातिगत समीकरणों और पुराने परिणामों को देखते हुए दिए गए टिकटों से कई सीटों की गणित बन भी रही है और बिगड़ भी रही है।

कहने को तो बीजेपी ने सबसे देरी से अपने टिकट दिए बावजूद इसके सवर्णों को साधने की कोशिश की। पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनावों में 36 सवर्णों को मैदान में उतारा था। इस बार भी इतने ही सवर्ण उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, समाजवादी पार्टी पिछले चुनाव में अपने दम पर इलेक्शन लड़ी थी। इस बार मामला गठबंधन का है।

2014 के लोकसभा के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 20 उम्मीदवार सवर्ण उतारे थे, लेकिन इस बार यह संख्या सिमटकर महज 6 तक रह गई है। हालांकि, इस बार एसपी को गठबंधन में 37 सीटें मिली है। बावजूद इसके अगर आधी सीटों के हिसाब से ही सवर्ण सीटों के टिकटों की संख्या को देखा जाए, तो भी पिछली बार से कम है।

बीएसपी ने दिखाई सोशल इंजिनियरिंग

गठबंधन में बीएसपी ने सोशल इंजिनियरिंग के माध्यम से सवर्णों को साधने की कोशिश की है। इस बार बीएसपी का एसपी के साथ गठबंधन है। बीएसपी को हिस्से में 38 सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनावों में पार्टी ने 26 सवर्णों को टिकट दिया था। इस बार सीटें कम हैं, लेकिन सवर्णों को टिकट देने में मायावती ने बड़ा दिल दिखाया और एक चौथाई सीटों पर टिकट देकर दांव खेला।

कांग्रेस ने खूब काटे टिकट
कांग्रेस ने पिछले लोकसभा के चुनावों में दो दर्जन सीटों पर सवर्ण कैंडिडेट उतारे थे, लेकिन नतीजे मनमाफिक नहीं आए। इस बार कांग्रेस ने टिकट बांटने में पिछले नतीजों का ध्यान रखा और सवर्णों के टिकट काट दिए। अगर कांग्रेस के इस बार के टिकटों पर गौर करें, तो पांएगे कि पिछले चुनावों में कांग्रेस ने 34 टिकट सवर्णों को दिए थे। इस बार यह संख्या 26 रह गई।

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