सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल केंद्रीय जेल में बंद प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के चार कथित कार्यकर्ताओं आरोपी सिद्दकी, इस्माइल माशालकर, उमर दंडोती और इरफान को जमानत दे दी है। कोर्ट ने इस आधार पर उन्हें जमानत दी कि उनके मामले का फैसला करने वाली जिला अदालत भोपाल के पास उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ाने का कोई अधिकार नहीं है।
इन्हें 24 दिसंबर 2013 को खंडवा जेल ब्रेक कर भागे सिमी के कार्यकर्ताओं को शरण देने उनकी सहायता करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वर्तमान में यह सभी 28 अन्य सिमी सदस्यों के साथ भोपाल जेल में बंद हैं।
आपको बता दें कि 20 मार्च 2014 को मध्य प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) की तरफ से दायर आवेदन पर भोपाल के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने सिद्दकी, इस्माइल, उमर और इरफान की न्यायिक हिरासत की अवधि को 90 से बढ़ाकर 180 दिन कर दी थी। 90 दिनों की हिरासत पूरी होने पर संदिग्धों ने इस आधार पर जमानत के लिए आवेदन किया कि जांच एजेंसी ने इस अवधि के भीतर आरोप पत्र दायर नहीं किया। इस पर कोर्ट ने उनकी याचिका और उसके बाद की अपीलों को 2015 में खारिज कर दर दिया था। इस पर चारों ने हाईकोर्ट का रुख किया।
आपको बता दे कि खंडवा जेल भागे सिमी कार्यकर्ताओं पर पुलिस अधिकारी की हत्या, खंडवा के अस्पताल में बम विस्फोट के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। एटीएस ने उनके पास से तीन बम, 100 डेटोनेटर, करीब 70 जिलेटिन स्टिक बरामद करने का दावा किया था। जांच एजेंसी ने दावा किया था गिरफ्तार हुए सिमी के लोगों के पाकिस्तान स्थित तहरीक-एक-तालिबान के संबंध हैं। उनकी हिटलिस्ट में देश के कई महत्वपूर्ण लोग थे।