
रायपुर। छत्तीसगढ़ में शोधपीठों के संचालन का मामला सदन में गूंजा। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में शोधपीठो की संख्या और उनके अध्यक्षों की जानकारी मांगी। चंद्राकार ने पूछा, कितने शोधपीठो में अध्यक्ष पद रिक्त है। अध्यक्षों को मिलने वाली सुविधाएं कौन कौन सी है? शोधपीठों की स्थापना एक क्या उद्देश्य था।
शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने जवाब में कहा, शोधपीठों के गठन के उद्देश्य पूरे नही हुए है। छत्तीसगढ़ के महापुरुषों के जीवन पर शोध करके उनकी जानकारी लोगों को दी जा सके इसके लिए इसका गठन किया गया था। जबसे विद्यापीठ बने है तबसे इनमें पद रिक्त है।
अजय चंद्राकर ने कहा, जब इन विद्यापीठों में पद रिक्त है तो इनको 146 करोड़ रुपए क्यो दिए गए, कोई काम नही हो रहा तो अनुदान राशि इनको क्यों मिला।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, यह राशि विश्विद्यालयों को दिया गया है। शोध पीठो को कोई अनुदान नही दिया गया।
अजय चंद्राकर ने कहा, संत कबीर का इतिहास, संत कबीर का इतिहास, कहत कबीर नाम से 3 किताबे छप गई है। जबकि शोधपीठो में कोई अधिकारी कर्मचारी नही है तो यह किताब कैसे लिख गई। बिना खर्च के किताबे लिखने वाले को सदन में बुलाया जाए उस विद्वान के चरण स्पर्श करना चाहता हुं।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, पिछले 5 सालों शोधपीठों में किसी भी प्रकार का काम नही हुआ। जिन्होंने किताब लिखी है उनके खर्चे का कोई रिकार्ड विभाग के पास नही है। छत्तीसगढ़ की विभूतियों के नाम पर शोधपीठ बनाये गए लेकिन पिछले 5 सालों की सरकार ने कोई काम नही कराया लेकिन जो किताबे लिखी गई है वे किताबे जादू से ही लिखी गई हैं। हम पता करेंगे यह कैसे हुआ।