
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज शाम चार बजे मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के लिए हाई लेवल बैठक बुलाई है. मणिपुर में पिछले एक साल से जातीय हिंसा जारी है. इस बैठक में मणिपुर के सीएम एन वीरेंद्र सिंह के साथ राज्य के पुलिस और प्रशासन के अधिकारी और केंद्रीय गृह मंत्रालय के आला अधिकारी मौजूद रहेंगे. बीते दिन मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने अमित शाह से मुलाकात की थी.
इससे पहले 10 जून को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर की हिंसा को लेकर चिंता जताई. नागपुर में संघ की एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘मणिपुर पिछले एक साल से शांति का इंतजार कर रहा है. मणिपुर में 10 साल पहले शांति थी. ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा देखने को मिली. मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा और चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है. अशांति या तो भड़की या भड़काई गई, लेकिन मणिपुर जल रहा है और लोग इस हिंसक तपिश का सामना कर रहे हैं.’
पिछले एक साल से सुलग रहा मणिपुर
मणिपुर में पिछले साल 3 मई को जातीय हिंसा भड़क गई थी. बहुसंख्यक मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था. इस दौरान हिंसा हो गई थी. इस भड़की आग में कुकी और मैतेई दोनों समुदायों के 220 से अधिक लोग और सुरक्षाकर्मी मारे गए. मणिपुर में मैतेई समुदाय की संख्या करीब 53 फीसदी है. ये समुदाय इंफाल घाटी में रहता है, जबकि आदिवासी समुदाय में नागा और कुकी जातियां शामिल हैं. इनकी संख्या करीब 40 फीसदी है. ये सभी मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
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