- कांकेर। उत्तरी बस्तर के आमाबेडा के भर्रीटोला इलाके में सरकारी अमला नहीं पहुंचा। वहां आदिवासियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( primeminister Narendra Modi) के आदेश का पालन करते हुए खुद को अपनी झोपड़ियों (huts) में कैद कर लिया है । मास्क ( Mosk) नहीं होने का तोड़ भी इन आदिवासियों (Tribles ) ने निकाल लिया है । आदिवासियों ने साल के पत्तों (leafs of Sal tree ) से अपने लिए मास्क तैयार किया है । इसके अलावा सभी लोग अपनी- अपनी झोपड़ियों में में रह रहे हैं।
साप्ताहिक बाजारों में पसरा सन्नाटा
कहने को तो आदिवासी इतने पढ़े लिखे नहीं हैं । आज भी गांव में ऐसे लोग मिल जाएंगे जिन्होंने शालाओं का दरवाजा नहीं लांघा है। इसके बावजूद इन आदिवासियों की जागरूकता देखते ही बनती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल (Chiefminister Bhupesh Baghel ) की बातों का इनके ऊपर इतना गहरा प्रभाव पड़ा है कि यह किसी भी कीमत में बाजार में भीड़ भाड़ लगाने को तैयार नहीं है। समारू मंडावी ने इस संवाददाता को बताया कि वह बाहर नहीं जाएगा। उसने संवाददाता से भी सुरक्षित दूरी पर रहते हुए गोंडी भाषा में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भीड़-भाड़ ना लगाने के लिए कहा है।
कांकेर से नहीं मिला मास्क
आदिवासियों ने संवाददाता से शिकायत की के उनको सरकार की तरफ से कोई मास्क नहीं मिला। यह इलाका कांकेर से काफी दूर पड़ता है ।ऐसे में इन आदिवासियों ने इसकी काट निकाली और इन लोगों ने साल के पत्तों का मास्क बना लिया।
आदिवासियों से सीख ले बाकी लोग
दिल्ली कोलकाता मुंबई मद्रास जैसे शहरों में रहने वाले उच्च शिक्षित और कुलीन वर्ग के लोगों को उत्तर बस्तर के आदिवासियों से सीख लेनी चाहिए। बिना पढ़े लिखे लोगों पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की बातों का इतना गहरा असर देखा जा रहा है कि वह संवाददाता से सीधे सवाल दाग देते हैं कि आप अपनी जान जोखिम में क्यों डाल रहे हो ? यही नहीं बात करते वक्त आदिवासी सुरक्षित दूरी बनाए रखते हैं।