
कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा जनपद में मनरेगा योजना में करीब ₹4.20 करोड़ के घोटाले का खुलासा हुआ है। इस मामले में कलेक्टर अजीत वसंत ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कार्यक्रम अधिकारी एम.आर. कर्मवीर को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। जांच में कर्मवीर द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फर्जी भुगतान और डिजिटल सिग्नेचर का दुरुपयोग किए जाने की पुष्टि हुई है।
ऐसे हुआ घोटाले का खुलासा
एम.आर. कर्मवीर ने सितंबर 2022 से नवंबर 2022 के बीच तत्कालीन सीईओ भुनेश्वर सिंह राज के डिजिटल हस्ताक्षर का दुरुपयोग कर मनरेगा की राशि जारी की। सीईओ का तबादला हो जाने के बावजूद, कर्मवीर ने उनके डिजिटल सिग्नेचर के साथ-साथ अपने हस्ताक्षर से कुल ₹4.70 करोड़ से अधिक की राशि विभिन्न मदों में जारी की।
बर्खास्तगी से पहले दिए गए दो मौके
इस मामले में जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर कर्मवीर को दो बार कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। लेकिन दोनों बार जवाब असंतोषजनक पाए जाने के बाद कलेक्टर ने उन्हें बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया।
घोटाले में सामने आए प्रमुख तथ्य:
- मजदूरी मद में: ₹4,20,49,571 (बिना रिकॉर्ड और सीईओ अनुशंसा के भुगतान)
- सामग्री मद में: ₹9,84,320
- प्रशासकीय मद में: ₹33,04,548
- अर्द्धकुशल मजदूरी मद में: ₹7,11,046
- कुल भुगतान: ₹4.70 करोड़ से अधिक
पुराने अधिकारियों से भी जुड़ा कनेक्शन
इस घोटाले के तार डीएमएफ घोटाले में जेल में बंद भुनेश्वर राज से भी जुड़े हैं। बताया गया कि उनके कार्यकाल में ही इस भ्रष्टाचार की नींव पड़ी थी।
अब क्या होगा?
मामले की जांच जारी है और अन्य संलिप्त अधिकारियों की भूमिका भी खंगाली जा रही है। कलेक्टर ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि इस मामले में किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
यह मामला छत्तीसगढ़ में सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की जरूरत को फिर एक बार उजागर करता है।