बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों ने भारत-मुक्तिवाहिनी सेना की जीत और पाकिस्तानी सेना की हार के प्रतीक को तोडा..

बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के गिरने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी है वहीं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना को वापस लौटने का कहा है। हसीना के इस्तीफे के बाद बनी सरकार में गृह मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे ब्रिगेडियर जनरल एम सखावत ने कहा है कि हसीना की पार्टी को नए चेहरों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हसीना को देश से निकाला नहीं गया था, वे खुद भागीं थीं। सखावत ने कहा है कि वे वापस लौट सकती हैं, बस देश में फिर से हालात न बिगाड़ें। सखावत ने ये भी कहा कि हसीना के दिल्ली में रहने से भारत-बांग्लादेश के रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
अंतरिम सरकार की ओर से हिंसा बंद करने की कई अपील भी हो चुकी हैं लेकिन देश में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है
वही हिंसा के बीचप्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के बनने की सबसे अहम घटनाओं में से एक पाकिस्तान की सेना के भारतीय फौज के सामने सरेंडर को दिखाने वाली एक मूर्ति को भी निशाना बनाते हुए तोड़ डाला है। मुजीबनगर में स्थित यह स्मारक भारत-मुक्तिवाहिनी सेना की जीत और पाकिस्तानी सेना की हार का प्रतीक था। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने हजारों सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था।
भारतीय सेना के ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट-जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने उन्होंने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे। इस स्मारक में उसी की छवि को दर्शाया गया है।
कांग्रेस का देश प्रेम एक दिखावा- अरुण साव.