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वनभैंस “आशा” की उदंती अभ्यारण्य में मौत, 10 महीने में तीसरा राजकीय पशु मरा

10 महीने में 3 राजकीय पशुओं की मौत से वन विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान

गरियाबंद। छत्तीसगढ (chhattisgarh)  के राजकीय पशु (state animal) वनभैंसा (Bison) के वंशवृध्दि (genealogy) की योजना को करारा झटका लगा है। “आशा” नामक वनभैंस की मंगलवार को मौत हो गई। 10 महीने में पहले जुगाड़ू फिर श्यामू और उसके बाद “आशा” की मौत ने वन विभाग (forest department)  के अधिकारियों को हिलाकर रख दिया है। उसकी मौत की पुष्टि डब्ल्यूटीआई से नियुक्त डॉक्टर आर पी मिश्रा ने उसकी मौत की पुष्टि की।

बाड़े के 200 मीटर अंदर ही मरी मिली:

मुख्यद्वार से 200 मीटर अंदर ट्रैकर्स ने वनभैंस आशा की लाश देखी। उसने तत्काल इसकी सूचना अफसरों को दी। उसके बाद चिकित्सक ने उसकी मौत की पुष्टि की। यहां हम आपको ये भी बता दें कि 10 महीने के अंदर ये तीसरे राजकीय पशु की मौत है। राज्य सरकार इस पर करोड़ों रुपए फूंक रही है। तो वहीं सारे प्रयास विफल साबित हो रहे हैं। अब वन विभाग की उम्मीदें सिर्फ खुशी पर टिकी हुई हैं। तो वहीं आशा के क्लोन से तैयार विपाशा भी हरियाणा के करनाल में मौजूद है जो वनभैंसों के वंशवृध्दि में सहायक होगी।

करोड़ों फूंकने के बाद भी नहीं मिली सफलता:

छत्तीसगढ सरकार वनभैंसों की वंशवृध्दि के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इस पर अब तक करोड़ों रुपए फूंके जा चुके हैं। ऐसे में वनभैंस लगातार नर बच्चों को जन्म देकर उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दे रही हैं। उधर दूसरी ओर लगातार वनभैंसों की मौत की खबरें आ रही हैं। ऐसे में सवाल यही उठता है कि क्या ऐसे ही राजकीय पशुओं की रक्षा हो सकेगी।

राजकीय पक्षी मैना की भी नहीं करा पाए वंशवृध्दि:

यहां हम आपको ये भी बता दें कि राजकीय पक्षी मैना (state bird myna) के साथ भी ऐसा ही हो चुका है। आज तक उसकी वंशवृध्दि करा पाने में वन विभाग असफल ही रहा है। ऐसे में डर है कि कहीं मैना वाली कहानी वनभैंसों पर भी न लागू हो जाए।

 

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