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पीरों के पीर गौस ए आजम दस्तगीर की शान में शहर में गौसुल आज़म कमेटी के बैनरतले जुलूसे गौसिया निकाला गया

रायपुर। राजधानी में ग्यारहवीं शरीफ त्योहार के मौके पर जुलूस निकाला गया. जिसमें नारा ए तकबीर, नारा ए रिसालत और नारा ए गौसिया लगाते हुए गौस पाक के शैदाई शहर के महबूबिया चौक बैजनाथ पारा रायपुर से शनिवार को दोपहर 3:00 बजे प्रारंभ हुआ. जो बरलोटा होटल, मालवीय रोड, सिटी कोतवाली ,राजीव गांधी चौक,औलिया चौक, शास्त्री बाजार होता हुआ सीरत मैदान पहुंचा। जहां शहर काजी हजरत मौलाना मोहम्मद अली फारुकी साहब ने परचम कुशाई की रस्म अदा की गौस ए पाक के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए देश-प्रदेश में उनके साथ खुशहाली की दुआ की।


कमेटी के जनरल सेक्रेटरी नदीम मेमन ने बताया की इस अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु मास्टर सलीम अहमद कुरैशी एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु डॉक्टर आरिफ सदफ एवं डॉक्टर मोहम्मद मोइनुउद्दीन को सम्मानित किया गया। इस इस अवसर पर गौसुल आजम अवार्ड 5000 रूपए का मौलाना शमसुद्दीन साहब को दिया गया । वही गौस ए आज़म की जीवनी पर निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार अमन खान, द्वितीय पुरस्कार स्वालेहा फातिमा ,तृतीय शेख फारुख अहमद अशरफी,को दिया गया, जुलूस में विशेष रूप से शेख निजामुद्दीन हाजी बदरूद्दीन खोखर, सदर मोहम्मद फुरकान मौलाना,जनरल सेक्रेटरी नदीम मेमन,मौलान एहतेशाम अली फारुकी, हसरत खान नायब सदर, कारी इमरान अशरफी , हाफिज अब्दुल रज्जाक , हाफिज जहीरुद्दीन, मौलाना मंसूर आलम अशरफी,फैज मेमन,अलतमश लोया, जैद लोधिया,हाजी फैसल जिया ,
सहित सैकड़ों अकीदतमंद खासतौर से शामिल रहे।

बता दें कि यह त्योहार पीरों के पीर शेख सैय्यद अबू मोहम्मद अब्दुल कादिर जीलनी रहमतुल्लाह अलैह से निस्बत रखता है. जिन्हें गौस ए आजम के नाम से जाना जाता है.

गौस ए आजम के करामात बचपन से ही दुनिया वालों ने देखा है. जब आप छोटे ही थे तो इल्म हासिल करने के लिए मां ने 40 दीनार (रुपये) देकर काफिला के साथ बगदाद रवाना किया. रास्ते में 60 डाकुओं ने काफिला को रोक कर लूटपाट मचाया. डाकुओं ने किसी को भी नहीं छोड़ा और सबों का माल व पैसे लूट लिये. गौस ए आजम को नन्हा जान कर किसी ने नहीं छेड़ा. चलते-चलते जब एक डाकू ने यूं ही पूछ लिया कि तुम्हारे पास क्या है. गौस ए आजम ने पूरी इमानदारी से कहा मेरे पास 40 दीनार है. वह मजाक समझा और आगे निकल गया. एक दूसरे डाकू के साथ भी यही सब हुआ. जब लूट का माल लेकर डाकू अपने सरदार के पास पहुंचे और नन्हें बच्चे का जिक्र किया तो सरदार ने बच्चे को बुलाकर कर मिलना चाहा. सरदार ने भी जब वही बातें पूछा तो गौस ए आजम ने जवाब में वही दोहराये कि मेरे पास चालीस दीनार हैं. तलाशी ली गई तो 40 दीनार निकले.

डाकुओं ने जानना चाहा कि आप ने ऐसा क्यों किया. गौस ए आजम ने फरमाया सफर में निकलते वक्त मेरी मां ने कहा था हमेशा हर हाल में सच ही बोलना. इसलिए मैं दीनार गंवाना मंजूर करता हूं लेकिन मां की बातों के विरुद्ध जाना पसंद नहीं किया. गौस ए आजम की बातों का इतना असर हुआ कि सरदार समेत सभी डाकूओं गुनाहों से तौबा कर नेक इंसान बन गये. गौस पाक अपनी जिंदगी में मुसीबतें झेल कर वलायत के मुकाम तक पहुंचे. उन्हें वलायत में वह मुकाम हासिल हुआ जो किसी अन्य वली को नहीं मिला. इसलिए गौस ए आजम ने फरमाया मेरा यह कदम अल्लाह के हर वली की गर्दन पर है. यह सुन कर संसार के सभी वलियों ने अपनी गर्दन झुका ली.

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