
बिलासपुर : अपोलो अस्पताल में फर्जी डॉक्टर के रूप में काम कर रहे नरेंद्र जॉन केम का रिमांड खत्म होने के बाद उसे वापस दमोह जेल भेज दिया गया है। आरोपी को प्रोडक्शन रिमांड पर दमोह से गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए बिलासपुर लाया गया था।
डॉ. नरेंद्र जॉन केम पर आरोप है कि अपोलो अस्पताल में पदस्थ रहते हुए उन्होंने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेंद्र शुक्ल समेत कई मरीजों के इलाज में घोर लापरवाही की, जिससे मौतें हुईं। परिजनों की शिकायत पर सरकंडा थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
जांच में सामने आया कि डॉ. नरेंद्र जॉन केम ने जनवरी से फरवरी 2025 के बीच दमोह के मिशनरी अस्पताल में 15 से अधिक हार्ट सर्जरी की थीं, जिनमें से 8 मरीजों की मौत हो गई। तीन मरीजों की जान एंजियोप्लास्टी के दौरान गई थी। पुलिस जांच में यह भी खुलासा हुआ कि आरोपी की डिग्री और मेडिकल अनुभव पूरी तरह फर्जी हैं।
फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद बिलासपुर में भी हड़कंप मच गया। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेंद्र शुक्ल के बेटे प्रदीप शुक्ल ने 2006 में अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान हुई पिता की मौत के लिए फर्जी डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम के खिलाफ IPC की धाराएं 420 (धोखाधड़ी), 466 (कूटरचना), 468 (धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का प्रयोग), 304 (गैर इरादतन हत्या) और 34 (सामूहिक अपराध) के तहत केस दर्ज किया गया है।
इस पूरे मामले में अपोलो अस्पताल प्रबंधन को भी आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि अस्पताल ने बिना दस्तावेज सत्यापन के फर्जी डॉक्टर को नियुक्त किया, जिससे गंभीर लापरवाही हुई और कई मरीजों की जान चली गई। पुलिस अब अस्पताल प्रबंधन की भूमिका की भी जांच कर रही है।