
बिलासपुर। शहर के कोनी स्थित सरस्वती शिशु मंदिर परिसर में राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के लिए आयोजित कार्यकर्ता विकास वर्ग प्रथम (सामान्य) मध्यक्षेत्र का समापन कार्यक्रम संपन्न हुआ।
इस कार्यक्रम में वर्ग के वर्ग कार्यवाह विक्रम सिंह ने सभी प्रमुख अधिकारियों का परिचय कराते हुए वर्ग का प्रतिवदेन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि 18 मई से प्रारंभ हुए कार्यकर्ता विकास वर्ग-1 मध्य क्षेत्र में कुल 308 स्थानों के 382 स्वयंसेवकों ने प्रषिक्षण प्राप्त किया। इन स्वयंसेवकों में कृशक, महाविद्यालयीन छात्र, व्यसायी, कर्मचारी, अधिवक्ता, अभियंता, चिकित्सक, प्राध्यापक आदि षामिल थें। प्रषिक्षण वर्ग में 58 षिक्षक, 13 पालक कार्यकर्ता पूर्ण समय वर्ग में उपस्थित रहें। यह वर्ग प्रातः 04ः15 से जागरण प्रारंभ होकर रात 10ः15 बजे तक संचालित होती थी, जिसमे ़
शारीरिक, बौद्धिक, श्रम साधना के विभिन्न सत्र आयोजित किए गए। स्वयंसेवकों को वर्ग में सेवा कार्य, संपर्क और प्रचार विभाग के कार्यो के प्रति समझ विकसित करने हेतु व्यवहारिक प्रषिक्षण
दिए गए।
इस समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित छत्तीसगढ़ लोकनाचा राश्ट्रीय रासधारी (रहस) के डाॅ. उग्रसेन कन्नौजे ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि आज का यह प्रकट कार्यक्रम मेरे जीवन के लिए ऐतिहासिक है। मैंने अपने जीवन काल में बहुत बडे-बडे मंचन किये, परंतु आज मैं राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आना मेरे लिए बड़ा सौभाग्य का विषय है। दुनिया में एक राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही तो है, जो छोटे छोटे समाज को
और हिन्दू पद्धति को चिर स्थायी बनाएं रखने के लिए यहां पर जो स्वयंसेवकों के गुण निर्माण की संख्या हो रही है, उसमें हम सब की सहभागिता हो। प्रत्येक वर्ग में अपने बच्चों को एैसे कोई खास कार्य के लिए तत्पर और मातृभूमि की रक्षा के लिए तत्पर रहें।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख श्री दीपक विस्पुते ने कहा कि –
– प्राचीन भारत श्रेश्ठ भारत रहा है।
– आक्रांताओं के हजार वर्श के शासन के समाज में कुछ दोश एवं समाज में आत्महीनता, आत्म गौरव का अभाव हमारे सामाजिक पतन का कारण बना।
– कृणवन्तो विष्वआर्यम का संदेष देने वाला हिन्दू समाज अभाव एवं संकटो से ग्रस्त होकर नैरास्य (निराषा) के वातावरण में लिप्त था। इसे दूर करने हेतु, समाज में देशभक्ति,अनुशासन एवं संगठन का भाव जागरण करने हेतु राश्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत् 100 वर्षों से समाज व राश्ट्र जागरण के प्रयास में साधनारत् है।
समाज और देश का वैभव किसी एक संस्था संगठन से नही अपितु सारे जागरूक समाज के प्रयास से ही संभव है। अतः सारा समाज एक श्रेश्ठ भारत, दिग्विजयी भारत, समरस भारत, समृद्ध भारत, बनाने में अपना भी यागे दान करें, आने वाले समय मे ं 2047 का भारत दुनिया का नेतृत्व करता हुआ, भारत समस्त समाज के प्रयास से खड़ा होकर विश्व भारत की संकल्पना को साकार करता हुआ दिखेगा। उन्होंने संघ द्वारा आहृान पंच परिवर्तन की विस्तृत जानकारी दी। इससे पूर्व कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन सायं 06ः15 बजे किया गया। इस समारोह मं े स्वयंसेवकों ने घोश, समता, आसन, नियुद्ध, पद विन्यास, दंड संचालन और
राश्ट्रभक्ति गीत का मनमोहक सामूहिक प्रदर्षन किया।
पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेष, लगाएं एक साथ पेड़
कार्यकर्ता विकास वर्ग-1 (सामान्य) मध्य क्षेत्र में आए षिक्षार्थियों ने बीते गुरूवार को विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस के उपलक्ष्य में पेड़ लगाए। पौधारोपण का कार्य षिक्षार्थियों के अतिरिक्त षिक्षक और वर्ग में उपस्थित अधिकारियों ने भी लगाया। इसके अतिरिक्त पूरे बीस दिनों में खाद्यान और पानी की बर्बादी रोकने तथा उपयोग की हुई वस्तुओं जैसे प्लास्टिक बोतल से बनायी गयी सामानों की एक प्रदर्षनी भी लगाई गई इको वृक्ष एवं सीड बाल के निर्माण का कार्य किया गया।
प्रदर्शनी के माध्यम से दिखा विभागों का बेहतर कार्य
इस वर्ग में मध्य क्षेत्र के सभी प्रान्तों द्वारा कई विभागों का प्रदर्षनी आकर्शण का केन्द्र रहा। जहाँ एक तरफ सेवा प्रकल्पों के चलाए जा रहे सेवा कार्यो की प्रदर्षनी अपनी सार्थक पहल को प्रककर रही थी, वहीं स्वावलंबन की दिषा में कागज के थैले आदि का निर्माण स्वावलंबी होने की प्रेरणा दे रहा था। इसी क्रम में प्रचार विभाग की प्रदर्षनी द्वारा प्रचार के सभी आयामों की संक्षिप्त जानकारी षिक्षार्थियों को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। इसमें भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण और हउपयोगी कानून की जानकारी बेहतर सन्देश दे रही थी। वर्ग में मातृभाशा दिवस, स्वदेषी दिवस,
पर्यावरण दिवस, श्री गुरूजी पुण्य स्मरण दिवस के रूप में मनाया गया।
वर्ग में युवाओं की अधिक संख्या परिवर्तन के लिए हैं तैयार
इस बार के कार्यकर्ता विकास वर्ग-प्रथम (सामान्य) मध्य क्षेत्र मं े आए षिक्षार्थियों में युवाओं काबोलबाला रहा है। इसमें कुल 382 षिक्षार्थी में से 226 षिक्षार्थी 30 वर्ष से कम उम्र के थे। इन युवा शिक्षार्थीयों में समाजहित में काम करने की प्रतिबद्धता दिखी, जो समाज परिवर्तन के लिए बेहतर संकेत है।
समापन कार्यक्रम का आभार श्री गणपती रायल ने किया। कार्यक्रम में अमृत वचन बोला गया तथा एकल गीत गाया गया।