आज पाकिस्तान पर भारत की जीत को 50 साल पूरे हो चुके हैं। पूरा देश आज विजय दिवस के रंग में डूबा है. इसकी जीत के पीछे इंदिरा गांधी की राजनीतिक और सैम मानेकशॉ की रणनीतिक इच्छाशक्ति को बड़ी वजह माना जाता है। इतिहास के पन्नों में सैम मानेकशॉ से जुड़े कई किस्से लोकप्रिय हैं, लेकिन युद्ध को लेकर इंदिरा गांधी से उनकी कई चर्चाएं भी सार्वजनिक डोमेन में हैं।
कौन थे मानेकशॉ…
मानेकशॉ का जन्म 3 अप्रैल 1914 को अमृतसर में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनका परिवार गुजरात के शहर वलसाड से पंजाब आ गया था। मानेकशॉ ने प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर में पाई, बाद में वे नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में दाखिल हो गए। वे देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच (१९३२) के लिए चुने गए ४० छात्रों में से एक थे। वहां से वे कमीशन प्राप्ति के बाद १९३४ में भारतीय सेना में भर्ती हुए।छोटी-सी उम्र में ही उन्हें युद्ध में शामिल होना पड़ा था। सैम मानेकशॉ को उनकी सेवाओं तथा वीरता के लिए सैन्य क्रॉस, पद्म भूषण तथा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है।
पीएम मोदी आज गुरुवार को 1971 युद्ध के स्वर्णिम विजय पर्व के मौके पर नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचे. जहां उन्होंने 1971 युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने यहां स्वर्णिम विजय मशालों के स्वागत और सम्मान समरोह में भाग लेते हुए जंग में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. बता दें, प्रधानमंत्री के साथ देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे.
पीएम मोदी ने पिछले साल इसी दिन चार स्वर्णिम विजय मशालों को प्रज्वलित किया था. PMO से मिली जानकारी के मुताबिक, इन मशालों को देश के अलग-अलग हिस्सों में ले जाया गया.