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कभी सिला करता था नक्सलियों की वर्दियां आज बना रहा है लोगों के लिए मास्क

कोरोना वायरस की लड़ाई में निभा रहा अपनी सामाजिक जिम्मेदारी

सुकमा ।  जो उंगलियां कभी इंसास रायफल (Insas Rifle) के ट्रिगर (triger) पर कसी रहती थी।  उन्होंने थाम रखी थी कैचिया  ( secisser) और जो पैर उबड़ -खाबड़ पहाड़ों पर दौड़ लगाया करते थे, वे  सिलाई मशीन ( sweing mechine)  के पायडल पर तेजी से आगे पीछे हो रहे थे । सिलाई मशीन पर मास्क बनाए जा रहे हैं । मास्क ( Mask)  बनाने वाले के बारे में जानकर आप चौक जायेंगे।

कौन है यह मास्क बनाने वाला

दरअसल यह मास्क बनाने वाला कोई और नहीं आत्मसमर्पण ( surrendered) कर चुका नक्सली (Naxali) मड़कम लक्खा है। इसका कभी इस इलाके में आतंक हुआ करता था।  नक्सलियों के इशारे पर काम करने वाला मड़कम लक्खा नक्सलियों के लिए वर्दी सिलने का काम किया करता था। उसे सिलाई में महारत हासिल है।

सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर किया सरेंडर

नक्सलियों की प्रताड़ना से तंग आकर और सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर मड़कम लक्खा ने सरेंडर कर दिया था। उसके बाद उसने सामाजिक धारा में जुड़ने की अपनी प्रतिबद्धता जताई।

कैसे आया मास्क बनाने का ख्याल

मड़कन लक्खा ने बताया कि कोरोना  ( covid 19) की लड़ाई लड़ रहे पुलिस (police) बल के जवानों के पास मास्क की कमी की बात सामने आई।  यह बात उसके जेहन में पूरी तरह बैठ गई, कि उसे पुलिस के लिए मास्क बनाना है ।बस फिर क्या था मड़कम लक्खा ने कपड़ा लाया कैंची संभाली और हो गया चालू।

 

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