
वाशिंगटन। कोरोना की वजह से चीन से कई देश नाराज हैं और वायरस के लिए चीन को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इस बीच अमेरिकी नौसेना के तीन विमानवाहक युद्धपोत हिंद और प्रशांत महासागर क्षेत्र में गश्त पर हैं। इसे अमेरिका और चीन के बीच बढ़े तनाव का संकेत माना जा रहा है। माना जा रहा है कि अमेरिका क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ाकर चीन को हद में रहने की चेतावनी दे रहा है। दुनिया में कोरोना वायरस के जारी प्रकोप के चलते दोनों देशों के रिश्ते बिगड़े हुए हैं।
कोरोना वायरस के संक्रमण, हांगकांग पर नया सुरक्षा कानून थोपने, भारतीय सीमा में घुसपैठ और दक्षिण चीन सागर पर कब्जे के मसले पर चीन और दुनिया के बाकी देशों में तनातनी के हालात बन गए हैं। वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका सभी मसलों से जुड़ा हुआ है और इसी कारण चीन से उसका सीधा वाक्युद्ध चल रहा है। चीन के नजदीक हिंद और प्रशांत महासागर क्षेत्रों में अमेरिकी नौसेना की बढ़ी गतिविधियां इसी का नतीजा मानी जा रही हैं।
अमेरिका के तीन विमानवाहक पोतों का मतलब किसी भी देश की नौसेना और वायुसेना को टक्कर देने वाला अमला है। इन पोतों पर परमाणु हथियारों से लेकर अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, अटैक हेलीकॉप्टर, क्रूज मिसाइल और अत्याधुनिक तोपें तैनात होती हैं। इतना ही नहीं युद्धपोत को घेरकर चलने वाले विध्वंसकों का बेड़ा, दर्जनों छोटे युद्धपोत और सैकड़ों अत्याधुनिक स्पीड बोट भी साथ होते हैं। अमेरिका के ज्यादातर विमानवाहक पोत दुनिया के सबसे ज्यादा उन्नत युद्धपोत हैं जिनका वजन एक लाख टन या इससे भी ज्यादा है। अमेरिका को सुपरपावर दर्शाने में इन युद्धपोतों की बड़ी भूमिका है।