सूरजपुर। सूरजपुर में 2018 विधानसभा चुनाव के समय परिवर्तन की लहर ने सभी ब्लॉक से लेकर विधानसभा और जिले स्तर पर कांग्रेस को बखूबी सत्ता हासिल करने का मौका मिला। लेकिन इन तीन सालों में कांग्रेसमयी सूरजपुर जिले में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नाराजगी उपेक्षा और दबी जबा में गुटबाजी सोशल प्लेटफार्म में सामने आती रहती है. ऐसे में फिर एक बार कांग्रेस के एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष की नियुक्ति ने सोशल मीडिया में कांग्रेसी प्रतिक्रिया खूब हो-हल्ला मचाए हुए है.
सूरजपुर जिले में लगभग बीते साढ़े तीन सालों से सभी विधानसभा में कांग्रेस काबिज है, वही जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर नगरीय निकायों में भी कांग्रेस ही काबिज है लेकिन बीतते समय के साथ शासन सत्ता में अब कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी सामने आने लगी है. जहां एक दिन पहले कांग्रेस के एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष के रूप में चंद्रकांत चौधरी की प्रदेश अध्यक्ष ने नियुक्ति के आदेश जारी किए.
जिसके बाद से ही सुरजपुर के कांग्रेस खेमे में शुरू हुआ हो-हल्ला सोशल मीडिया तक पहुच गया. जहां युवक कांग्रेस और एनएसयूआई के पुराने कार्यकर्ताओ ने आरोप लगाया कि चंद्रकांत चौधरी ने जोगी कांग्रेस के लिए शुरू से काम किया और अब कांग्रेस में शामिल होते ही जिलाध्यक्ष बना दिया। वही अब तक सदस्यता भी ग्रहण नही किया है. ऐसे में एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष जैसे पद पर पैराशूट कार्यकर्ता को जिले की कमान सौपना गलत है. यही वजह की सोशल मीडिया में कार्यकर्ता अपनी प्रतिक्रिया नहीं रोक पा रहे. वही एनएसयूआई के नवीन जिलाध्यक्ष ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को परिवार बताते हुए सभी को संतुष्ट करने की बात किए.
एक ओर कांग्रेस के छात्र संगठन और युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं में एनएसयूआई जिलाध्यक्ष की नियुक्ति से भारी रोष है. ऐसे में जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी भी अचरज है और जिलाध्यक्ष की नियुक्ति पर प्रदेश स्तर पर चर्चा करने की बात किए. लेकिन जगजाहिर होते गुटबाजी पर, हर बार की तरह इनकार करते नजर आए.
बहरहाल 2023 विधानसभा चुनाव की तैयारी में भाजपा कांग्रेस दोनो की ही जमीनी स्तर की सक्रियता बढ़ रही है. ऐसे में सत्ता में बैठे कांग्रेस कार्यकर्ताओ की नाराजगी कब तक गुटबाजी का रूप लेता है और कांग्रेस के लिए किस तरह की चुनौती खड़े करता है. यह तो देखने वाली बात होगी।