नई दिल्ली। उर्दू के मशहूर साहित्यकार गोपी चंद नारंग का 91 वर्ष की उम्र में अमेरिका में निधन हो गया। बताया गया है कि पिछले कुछ समय से उनकी तबीयत कुछ ठीक नहीं थी। नारंग को उर्दू साहित्य के लिए देश और दुनियाभर में जाना जाता है। इसके लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण भी दिया जा चुका है। उर्दू के अलावा गोपीचंद नारंग ने कई और भाषाओं में भी अपनी किताबें लिखी हैं।
नारंग का जन्म 1931 में बलूचिस्तान में हुआ था। उन्होंने 57 किताबे लिखी हैं जिन्हें पद्म भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी कुछ प्रमुख किताबों में उर्दू अफसाना रवायत, अमीर खुसरो का हिंदवी कलाम इत्यादि शामिल हैं ।
गोपी चांद नारंग को हिंदू, पश्तो और उर्दू सहित भारतीय उपमहाद्वीप में बोली जाने वाली 6 भाषाओं का ज्ञान था। नारंग ने उर्दू और हिंदी के अलावा अंग्रेजी में भी किताबें लिखी हैं। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रैजुएशन किया है। इसके बाद वे सेंट स्टीफन कॉलेज में शिक्षक भी रहें। नारंग को पद्मभूषण के अलावा पाकिस्तान के भी तीसरे सर्वोच्च सम्मान सितार ए इम्तियाज से सम्मानित किया जा चुका है।
गोपी चंद नारंग ने 1954 में दिल्ली विश्वविद्यालय से उर्दू में पीजी करने के बाद शिक्षा मंत्रालय द्वारा मिली स्कॉलरशिप लेकर उन्होंने 1958 में अपनी पीएचडी पूरी की और वे सेंट स्टीफेंस कॉलेज में ही उर्दू साहित्य पढ़ाने लगे। इसके बाद वे दिल्ली विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग से जुड़ गए और साल 1961 में वह रीडर हो गए।