NEET के स्ट्रे राउंड में आरक्षण नहीं देने पर याचिका,MCI, DCI और राज्य शासन से हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
बिलासपुर। नेशनल एलिजबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET UG 2022) के स्ट्रे वैकेंसी राउंड में आरक्षण नहीं देने पर रविवार को क्रिसमस पर्व पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने इस केस में मेडिकल काउंसिल कमेटी, डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया और राज्य शासन को नोटिस जारी कर दो जनवरी तक जवाब मांगा है।
दरअसल, इस राउंड में आरक्षण नहीं देने के कारण प्रदेश के आरक्षित वर्ग के स्टूडेंट एडमिशन से वंचित हो गए हैं, जिन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET UG 2022) देने वाले स्टूडेंट्स के लिए मेडिकल कॉलेज और डेंटल कॉलेजों की बची हुई सीटों पर एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है। NEET ने के स्ट्रे वैकेंसी राउंड के फाइनल नतीजे जारी कर दिए गए हैं। ये रिजल्ट मेडिकल काउंसिल कमेटी (MCC) ने रिलीज किया है। लेकिन, इसमें आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया है और मेरिट लिस्ट के आधार पर सूची जारी की गई है, जिसे चुनौती देते हुए रायगढ़ के स्टूडेंट राजेंद्र साव और धमतरी के मयंक देवांगन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
अर्जेंट हियरिंग की मांग, संडे को खुला हाईकोर्ट
स्टूडेंट्स के एडवोकेट ने उनके भविष्य और एडमिशन को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से आग्रह किया कि इस केस की अर्जेंट सुनवाई की जाए, जिस पर जस्टिस एनके व्यास और जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की डिवीजन बेंच गठित कर रविवार को अवकाश के दिन हाईकोर्ट खुल गया और उन्होंने केस की सुनवाई की।
याचिका में बताया गया कि स्ट्रे राउंड के लिए डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन ने 21 दिसंबर को नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें 25 दिसंबर तक रिक्त सीटों पर स्टूडेंट्स को सीधे एडमिशन के लिए आवेदनपत्र जमा करना था। याचिकाकर्ता छात्रों का कहना है कि जारी लिस्ट में आरक्षण नियम लागू नहीं किया गया है, जिसके कारण उनका नाम ही लिस्ट में नहीं है। आरक्षण रोस्टर लागू होता, तो उनका एडमिशन होने का चांस रहता। डिवीजन बेंच ने उनके वकील के तर्कों को सुनने के बाद मेडिकल काउंसिल कमेटी, डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया और राज्य शासन के डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को नोटिस जारी कर दो जनवरी तक जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है।