उत्तराखंड। शहीद लांसनायक चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर 12.15 बजे हल्द्वानी पहुंचा। शहीद को श्रद्धांजिल देने के लिए यहां लोगों को सैलाब उमड़ पड़ा। इस दौरान उनके परिजनों को शहीद का चेहरा नहीं दिखाई गया। अंतिम दर्शन के लिए परिजनों को केवल दस मिनट का समय ही मिला।
सियाचिन में 38 साल पहले शहीद हुए लांस नायक चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर मंगलवार को घर नहीं पहुंच सका था। स्थानीय लोगों ने उनके सम्मान में और श्रद्धांजलि देने के लिए पूरी गली को ही तिरंगामय कर दिया। अंतिम विदाई देने के लिए फूलों से सजी गाड़ी भी तैयार की गई है। जब पता चला कि पार्थिव शरीर मंगलवार को नहीं लाया जा सका तो मायूसी छा गई थी। बुधवार को शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर देशभक्ति के जयघोष के साथ में घर पर लाया गया। जहां तकरीबन 10 मिनट परिजनों को अंतिम दर्शन कराए गए। इसके बाद शहीद के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि स्थल पर लाया गया है। यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की।
द्वाराहाट (अल्मोड़ा) के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर हर्बोला 19-कुमाऊं रेजीमेंट में लांस नायक थे। मई 1984 में सियाचिन में पेट्रोलिंग के दौरान 20 सैनिकों की टुकड़ी ग्लेशियर की चपेट में आ गई थी। इनमें लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला समेत किसी भी सैनिक के बचने की उम्मीद नहीं रही। बीते 14 अगस्त को उनके परिजनों को पार्थिव शरीर मिलने सूचना दी गई थी।