
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर जिले में जल संकट, सफाई व्यवस्था और शहर में जलभराव की समस्या को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने मीडिया रिपोर्ट्स को स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया है। साथ ही राजधानी रायपुर के डीकेएस और अंबेडकर अस्पताल की अव्यवस्थाओं को लेकर भी स्वतः संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है।
बिलासपुर में पीने के पानी की किल्लत, गंदा पानी पहुंच रहा घरों में
बिलासपुर जिले में भीषण गर्मी के चलते पीने के पानी की भारी समस्या उत्पन्न हो गई है। शहर की पाइपलाइनें खराब होने के कारण घरों में गंदा और बदबूदार पानी पहुंच रहा है। कई मोहल्लों में टैंकरों के माध्यम से जल आपूर्ति की जा रही है, जिससे पानी को लेकर मारामारी की स्थिति बन गई है। गांवों में भी टंकी और पाइपलाइनें तो बिछी हैं, लेकिन पानी नहीं आ रहा है। यहां तक कि पीएचई विभाग के पास यह जानकारी तक नहीं है कि किन गांवों में पानी की किल्लत है।
सफाई व्यवस्था पर उठे सवाल, अब तक नहीं हुई बड़े नालों की सफाई
नगर निगम ने दावा किया है कि सभी आठ जोनों में नालों की सफाई का रोस्टर तैयार कर कार्य शुरू कर दिया गया है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इसके विपरीत है। अब तक शहर के बड़े नालों की सफाई शुरू नहीं हुई है, जिससे बारिश के दौरान जलभराव की समस्या फिर से उत्पन्न होने की आशंका है।
नगर निगम आयुक्त से मांगा जवाब
मीडिया रिपोर्ट्स को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई से पहले शपथपत्र सहित जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 22 मई को होगी।
रायपुर के अस्पतालों की दुर्दशा पर भी हाईकोर्ट सख्त
राजधानी रायपुर के डीकेएस और अंबेडकर अस्पतालों की दुर्व्यवस्था को लेकर भी हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। मीडिया में आई खबरों के अनुसार, भीषण गर्मी में मरीजों के साथ आए परिजन अस्पताल परिसर में खुले आसमान के नीचे, बिना पंखा-कूलर के रहने को मजबूर हैं। अस्पतालों के यूटिलिटी एरिया वर्षों से बंद पड़े हैं, जिससे आमजन को भारी परेशानी हो रही है।
डीन और अधीक्षक से मांगा स्पष्टीकरण
हाईकोर्ट ने डीकेएस अस्पताल के अधीक्षक और अंबेडकर अस्पताल के डीन से शपथपत्र के रूप में जवाब मांगा है। इस मामले की सुनवाई जुलाई में निर्धारित की गई है। हाईकोर्ट की इस सख्ती के बाद प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभागों में हलचल तेज हो गई है।