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श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने के नाम पर करोड़ों की रिश्वत, NMC ने 3 डॉक्टरों को किया ब्लैकलिस्ट

 

रायपुर : राजधानी स्थित श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज में मान्यता दिलाने के नाम पर करोड़ों की रिश्वतखोरी का बड़ा मामला सामने आया है। इस हाई-प्रोफाइल प्रकरण में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने तीन वरिष्ठ डॉक्टरों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। वहीं, CBI ने 1 जुलाई को 6 लोगों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।

1.62 करोड़ की रिश्वत डील, CBI ने किया भंडाफोड़

CBI की रिपोर्ट के अनुसार, कॉलेज को मान्यता दिलाने के लिए 1.62 करोड़ रुपये की डील तय की गई थी। निरीक्षण से पहले डॉ. मंजप्पा ने अपने सहयोगी डॉ. सतीशा एए को हवाला के जरिए 55 लाख रुपये मंगवाने को कहा। CBI ने बेंगलुरु में जाल बिछाकर ये राशि बरामद की।
कार्रवाई के दौरान:

  • रविचंद्रन केएफ (डॉ. चैत्रा के पति) से 16.62 लाख रुपये
  • सतीशा एए से 38.38 लाख रुपये बरामद हुए।

फर्जी निरीक्षण के लिए दी गई रिश्वत

जांच में खुलासा हुआ कि कॉलेज प्रबंधन ने NMC टीम की विज़िट की जानकारी पहले ही रिश्वत देकर हासिल कर ली थी। इसके बाद नकली फैकल्टी, फर्जी मरीज और गलत दस्तावेजों से निरीक्षण को अनुकूल दिखाया गया। इसके लिए निरीक्षकों को मोटी रकम दी गई थी।

NMC ने जिन डॉक्टरों को किया ब्लैकलिस्ट:

  • डॉ. चैत्रा एमएस – एसोसिएट प्रोफेसर, श्री अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु
  • डॉ. मंजप्पा सीएन – प्रोफेसर और HOD (ऑर्थोपेडिक्स), मांड्या इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, कर्नाटक
  • डॉ. अशोक शेल्के – सदस्य, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग

गिरफ्तार अन्य आरोपी:

  • सतीशा एए – निजी चिकित्सा संस्थान संचालक
  • अतुल कुमार तिवारी – निदेशक, श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च
  • रविचंद्रन केएफ – डॉ. चैत्रा के पति

इन सभी को विशेष CBI अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 5 दिन की रिमांड पर भेजा गया है।

कॉलेज की मान्यता प्रक्रिया रद्द

CBI की कार्रवाई के बाद श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज की आगामी सत्र की मान्यता प्रक्रिया पूरी तरह से रद्द कर दी गई है।

सरकार की प्रतिक्रिया

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, “CBI स्वतंत्र एजेंसी है और ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।”

यह मामला चिकित्सा शिक्षा में गहराई तक फैले भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार है।

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