गर्भपात की दवा पर बैन लगाने वाली मांग सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, मिफेप्रिस्टोन से हटाया प्रतिबंध

अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए गर्भपात में इस्तेमाल की जाने वाली गोली मिफेप्रिस्टोन पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया है। पहले इस गोली पर निचली अदालतों ने रोक लगा दी थी।
मिफेप्रिस्टोन से जुड़ी कानूनी लड़ाई उस समय शुरू हुई जब टेक्सास में एक संघीय न्यायाधीश ने इस दवा पर देशव्यापी बैन लगाने का आदेश दिया। कहा गया था कि दवा का इस्तेमाल जन्म लेने से पहले ही बच्चे की हत्या करने के लिए किया जा रहा है।
एफडीए से मिल चुकी है मंजूरी
मिफेप्रिस्टोन का इस्तेमाल आमतौर पर गर्भपात के लिए किया जाता है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने मिफेप्रिस्टोन के गोलियों का सेवन करने को लेकर मान्यता दे रखी है। अमेरिका के टेक्सास और वाशिंगटन में फेडरल जजों ने 7 मार्च 2023 को मिफेप्रिस्टोन दवा को बैन करने का फैसला सुनाया था। राष्ट्रपति जो बाइडेन के न्याय विभाग ने एक आपातकालीन अपील दायर की थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से निचली अदालत के इस फैसले को रोकने के लिए कहा गया था।
बाइडेन प्रशासन ने दी थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली गर्भपात की गोली मिफेप्रिस्टोन को खाद्य एवं औषधि प्रशासन की मंजूरी दी। न्याय विभाग और मिफेप्रिस्टोन निर्माता डैंको लेबोरेटरीज की अपील पर अदालत में सुनवाई लंबित होने तक सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसलों को प्रभावी ढंग से रोक दिया है। बाइडेन ने कहा कि निचली अदालत के फैसलों ने एफडीए के चिकित्सा निर्णय को कमजोर कर दिया है और महिलाओं के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ होता है कि मिफेप्रिस्टोन दवा सुरक्षित है।