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सूरजपुर : फर्जी तरीके से जमीन की रजिस्ट्री के आरोपियों की अग्रिम जमानत न्यायालय ने की खारिज, पुलिस पर लग रहे यह आरोप

सरगुजा। सूरजपुर जिला न्यायालय ने फर्जी तरीके से जमीन रजिस्ट्री के मामले में आरोपियों के द्वारा दाखिल अग्रिम जमानत को खारिज कर दिया है। तीन आरोपियों में से दो आरोपियों के द्वारा न्यायालय में अग्रीम जमानत के लिए आवेदन लगाया था। दोनों आरोपी फर्जी तरीके से रजिस्ट्री मामले में गवाह है।

गौरतलब है कि सूरजपुर जिला मुख्यालय में फर्जी तरीके से जमीन रजिस्ट्री कराने के मामले में पुलिस ने जांच के बाद 3 लोगों मुख्य आरोपी अम्बिकाप्रसाद राजवाड़े एवं रजिस्ट्री में गवाह बने सतीश यादव,भोलापुरी पर धारा120B,420,467,468,471,IPC के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है लेकिन इस मामले में जमीन खरीददार एवं तत्कालीन राजस्व निरीक्षक को अभी तक पुलिस ने आरोपी नहीं बनाया है। जिससे कयास लगाया जा रहा है कि राजनीतिक दबाव के कारण पुलिस बचाने का प्रयास कर रही है।

ज्ञात हो कि सूरजपुर निवासी ओमप्रकाश राजवाड़े पिता दीवान चंद राजवाड़े व तीन लोगों ने सूरजपुर पुलिस अधीक्षक को 28 जनवरी 2022 को एक शिकायत किया था। जिसमें उन्होंने यह आरोप लगाया था कि सूरजपुर के ही निवासी अंबिकाप्रसाद राजवाड़े के द्वारा अक्टूबर 2021 को राजस्व विभाग के राजस्व निरीक्षक के साथ मिलकर खसरा नंबर 58 का फर्जी तरीके से रजिस्ट्री अंबिकापुर के उप पंजीयन कार्यालय में सूरजपुर निवासी विमला उपाध्याय के नाम से कर दिया है। शिकायतकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया था कि इस फर्जी तरीके से जमीन बिक्री के मामले में क्षेत्र के राजस्व निरीक्षक दयाशंकर प्रसाद सिन्हा व सरगुजा मुख्यालय के उप पंजीयक सिद्धार्थ मिश्रा की भूमिका भी संदिग्ध है।

तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सूरजपुर के द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच के आदेश दे दिया गया। जांच पुलिस अनुभाग अधिकारी के द्वारा किया गया इसमें उन्होंने पूरी पारदर्शिता अपनाते जांच को अंजाम दिया। जांच में जो तथ्य सामने आए वह आश्चर्यजनक थे जांच के दौरान उप पंजीयक सिद्धार्थ मिश्रा ने पुलिस को बताया कि सूरजपुर निवासी अंबिका प्रसाद राजवाड़े एवं विमला उपाध्याय के द्वारा जमीन बेचने व खरीदने के संबंध में दस्तावेज प्रस्तुत किया गया लेकिन उक्त भूमि का जब ऑनलाइन रिकॉर्ड चेक किया गया तो यह पाया गया कि उक्त भूमि का प्रकरण न्यायालय में लंबित है। जिससे उन्होंने उक्त भूमि का पंजीकरण करने से मना कर दिया गया। लेकिन इसके बाद दो-तीन दिन बाद अंबिका प्रसाद राजवाड़े एवं विमला उपाध्याय के द्वारा पुनः जमीन खरीदी बिक्री के संबंध में दस्तावेज प्रस्तुत किया गया लेकिन इस बार ऑनलाइन राजस्व रिकॉर्ड चेक करने पर न्यायालय में विचाराधीन लिखा तथ्य हट चुका था जिसके कारण उन्होंने उक्त भूमिका पंजीयन किया। वही दूसरी ओर राजस्व निरीक्षक दयाशंकर प्रसाद सिन्हा ने पुलिस को जांच में यह बताया कि अंबिका प्रसाद राजवाड़े के द्वारा खसरा क्रमांक 58 का कोरा नक्शा किसी अन्य प्रयोजन हेतु उनसे मांगा गया था से उन्हें प्रदान किया गया लेकिन उक्त नक्शा में उनके द्वारा बिक्री हेतु कोई भी टीप नहीं लिखा गया है। ना ही कोरा नक्सा में बाटांकन किया गया है। लेकिन राजस्व निरीक्षक सिंहा ने यह स्पष्ट नहीं किया कि आन लाईन रिकार्ड में लिखा गये तथ्यों को किसने हटाया है।

12 दिनो के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है

फर्जी तरीके से जमीन बेचने के मामले में गंभीर धाराओं के तहत पुलिस ने 23 जून को आरोपियों के विरुद्ध अपराध दर्ज किया था लेकिन 12 दिन होने के बाद भी सूरजपुर थाना पुलिस मामले के मुख्य आरोपी अंबिका प्रसाद राजवाड़े एवं अन्य दो आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कर सकी है। जबकि आरोपी खुलेआम शहर में घूम रहे हैं। इस बारे में थाना प्रभारी प्रकाश राठौर का कहना है कि जांच में कुछ कागज की कमी है जिसे जल्द एकत्र कर लिया जाएगा। उन्हें यह भी कहा कि जांच में आरोपियों की संख्या भी बढ़ेगा उन्होंने कहा कि जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा।

उच्च न्यायालय से भी आवेदकों को मिल चुकी है राहत

ओम ओम प्रकाश राजवाड़े अन्य चार आवेदकों की माने तो उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ अपने फैसले में अनावेदक गणों के याचिका को निरस्त कर ओम प्रकाश राजवाड़े के पक्ष में फैसला दिया है इसके बावजूद अंबिका प्रसाद राजवाड़े के द्वारा फर्जी तरीके से जमीन को बेचा गया है।

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