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NHMMI के नाम एक और उपलब्धि, छत्तीसगढ़ में पहली बार एक आधुनिक डिसॉल्वेबल स्टेंट की मदद से व्यक्ति को बचाया गया

रायपुर। एक युवा परिवारिक व्यक्ति, अचानक आई समस्याओं से बचने के लिए तैयार होने की उम्मीद होती हैं, वह खुद ही अचानक बीमार हो जाये तो उस परिवार का पालन कैसे होगा ? ज्यादातर लोग मानते हैं कि ह्रदय की समस्याएं कभी भी अल्पकालिक नहीं होती हैं। वे लंबी अवधि तक स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं को अपने साथ खींचते हैं, लेकिन अब हमारे पास इन जटिलताओं को कम करने का विकल्प है।

छत्तीसगढ़ में पहली बार एक आधुनिक डिसॉल्वेबल स्टेंट की मदद से दिल के दौरे से 39 वर्षीय व्यक्ति को बचाया गया । प्रारंभिक उपचार के बाद मरीज आगे के जांच और उपचार के लिए एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, रायपुर आया। डॉ. सुमंत शेखर पाढ़ी ने उनका जांच एवं परिक्षण किया और एंजियोग्राफी का सुझाव दिया, जिसमें एल.ए.डी (हृदय की सबसे बड़ा धमनी) में 90% रुकावट की पुष्टि हुई। उन्हें एंजियोप्लास्टी (अवरुद्ध कोरोनरी धमनियों को खोलने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया) की जरूरत थी।

डॉ. सुमंत शेखर पाढ़ी, सीनियर कंसल्टेंट – इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी (एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, रायपुर) ने कहा, “चूंकि मरीज की उम्र कम थी और अन्य तकलीफ नहीं थी, इसलिए हमने आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले मेटल स्टेंट के बजाय एक डिसॉल्वेबल स्टेंट का उपयोग करने का फैसला लिया गया। डिसॉल्वेबल स्टेंट उन्हें बेहतर और दीर्घकालिक परिणाम देगा। हालांकि, नए डिसॉल्वेबल स्टेंट को इम्प्लांट करना के लिए मेटल स्टेंट की तुलना में एक अलग ही स्टेंट प्रत्यारोपण तकनीक की आवश्यकता होती है।”

डॉ सुनील गौनियाल (सीनियर कंसल्टेंट – इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी) ने समझाया के, “इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड के साथ उपचार की योजना बनाई गई थी। इंट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड कोरोनरी धमनी के अंदरूनी हिस्से को देखने के लिए एक उन्नत इमेजिंग तकनीक है। इस तरह की उन्नत इमेजिंग तकनीक स्टेंट की उचित स्थिति निर्धारित करने में मदद करती है, इसके लिए ऑपरेटर द्वारा अधिक कौशल की आवश्यकता होती है।“

11 मार्च 22 को कार्डियोलॉजिस्ट की एक टीम – डॉ सुमंत शेखर पाढ़ी (सीनियर कंसल्टेंट – इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी), डॉ. सुनील गौनियाल (सीनियर कंसल्टेंट – इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी), डॉ. स्नेहिल गोस्वामी (कंसल्टेंट – इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी) और डॉ. जिनेश जैन (कंसल्टेंट – इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी) द्वारा प्रक्रिया को सफलतापूर्वक किया गया और 13 मार्च 22 को मरीज को डिस्चार्ज दे दिया गया।
मरीज ने अपना अनुभव बताते हुए कहा, “मैं ठीक हूं और इस उपचार की मदद से नियमित जीवन जीने में सक्षम हूं। जब मुझे नए डिसॉल्वेबल स्टेंट के बारे में पता चला, तो मैं डर गया लेकिन जल्द ही इसके लाभ का एहसास हुआ।”

नवीन शर्मा, फैसिलिटी डायरेक्टर, एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, रायपुर ने कहा, “यह हमारे राज्य में पहली बार है कि एक डिसॉल्वेबल स्टेंट का इस्तेमाल किया गया है। डॉ. एस.एस. पाढ़ी ऐसी तकनीकों के विशेषज्ञों में से एक हैं।”

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