
हिमांशु पटेल/रायपुर। नगर निगम और स्मार्ट सिटी के अधिकारियों के बड़ी लापरवाही सामने आई है स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर बड़ा बड़ा दावा करने वाले अधिकारियों की ऐसी करतूत सामने आई है. इस तस्वीर से साफ पता चलता है कि व्यवस्था में सुधार करने की बजाए जिम्मेदार उस पर पलीता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. मामला अनुपम गार्डन के पास का है जहां लगभग 25 से 30 लाख रुपए की लागत से नेकी की दीवार बनाई गई थी जो पूरी तरह जलकर खाक हो चुकी है अभी तक दीवार के अवशेष पड़े हैं. अधिकारियों पर गंभीर आरोप इसलिये लग रहे हैं कि शुक्रवार को स्वच्छता सर्वेक्षण के चलते राष्ट्रीय स्वच्छ भारत मिशन के डायरेक्टर और दिल्ली केंद्र के कुछ अधिकारी रायपुर पहुंचे थे. अधिकारियों को नालंदा परिसर का दौरा करना था लेकिन देखने में आया कि नेकी की दीवार के मलबे को साफ नहीं कराया गया. उल्टा अपनी लापरवाही छुपाने नगर निगम ने एक हरे रंग के नेट से लोहे के फ्रेम को ढक दिया और गंदगी ना दिखे इसलिए उसके ऊपर एक बड़ा फ्लेक्स भी लगा दिया और सोचा कि मामला दब जाएगा मौके पर पहुंची editorjee कि टीम तो देखने मिला कि यहां पर लीपापोती का प्रयास किया गया है.
जला हुआ अवशेष
जैसे का तैसे पड़ा हुआ है। स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर बड़े-बड़े दावा करने वाले अधिकारियों के दावे में कितनी सच्चाई है इसी दे अंदाजा लगाया जा सकता है।भला ऐसे कमियों और खामियों को दूर करने के बजाए ढकने का कार्य करेंगे तो रायपुर को स्वक्षता रैंकिंग में भला कैसे नंबर बेहतर मिलेगा।
पढ़िए पूरा मामला
दरअसल मामला यह है कि राजधानी के दो जगह जिसमे एक अनुपम गार्डन के पास व दूसरा शहीद भगत सिंह चौक के पास बीते कुछ महीने पहले नेकी की दीवार पर आगजनी की घटना हुई थी जिसका अवशेष अब तक वही फैला हुआ है उसे तक साफ नही किया गया बल्कि जब स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए केंद्र से टीम आई तब ऐसे खामियों को छुपाने के लिए उसपर पलीता लगाकर ढंकने का प्रयास जिम्मेदारों द्वारा किया गया।बता दे सर्वेक्षण के तहत कल स्वच्छ भारत मिशन की डायरेक्टर और केंद्र के अधिकारी सर्वे के लिए पूरा शहर घूम रहे थे। नालन्दा परिसर भी गए थे, लेकिन सामने ही जली हुई नेकी की दीवार के अवशेष दिख रहे थे जिसे कभी 25-30 लाख खर्च करके बनाया गया था। अब उस जला हुआ स्ट्रक्चर छिपाने हरे रंग की चादर बिछा दी, सामने फुल साइज का फ्लेक्स लगा दिया कैसे स्वक्षता में रायपुर को बेहतर रैंक मिले.
फिजूल हुआ करोड़ो का सिस्टम
शहर भर में सुरक्षा के लिहाज से 350 करोड़ रुपए की लागत वाली ITMS योजना के हाईटेक CCTV कैमरे के नीचे इस दीवार को किसने जलाया यह आज तक पता नहीं चल पाया है।तो लोगो के मन मे यह सवाल उठना लाजमी है कि ऐसे में यह सिस्टम ही फिजूल है जब इस हाईटेक कैमरे होने के बाद भी इस तरह घटना घटित होना और इस हाईटेक कैमरे का उपयोग कर यह आगजनी घटना है या साजिश इसका पता नही लगा पाए.
क्या कहते है जिम्मेदार
इसे नेकी की दीवार पर हुए आगजनी को लेकर गंभीर आरोप भी लगे थे जिसमें नगर निगम के उपनेता प्रतिपक्ष मनोज वर्मा का आरोप था कि पीछे एक निजी बड़ी संस्थान खोलने के चलते इस नेकी की दीवार पर साजिश के तहत आग लगाया गया है और इसीलिए अब तक कोई ठोस कार्यवाही भी नहीं हुई है वही इस पर लगाए गए बैनर पोस्टर को लेकर नगर निगम के अधिकारी सुनील चंद्रवंशी का कहना है.
नेकी की दीवार को छुपाया नहीं जा रहा- अपर आयुक्त
इस मामले में जानकारी देते हुए नगर निगम रायपुर, अपर आयुक्त सुनील चंद्रवंशी ने बताया कि मामले में एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है और उसके संदर्भित कुछ लोग हैं उसकी जानकारी ली जा रही है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि नेकी की दीवार की पूर्ण निर्माण करने की कार्यवाही हम कर रहे हैं. और लगाए गए बोर्ड के संदर्भ में उन्होंने कहा कि स्वच्छता सर्वेक्षण से संबंधित बैनर पोस्टर लगाए गए हैं. जो सुंदरता को बढ़ाता है और साथ ही लोगों को जागरूक करता है, की स्वच्छता सर्वेक्षण की जानकारी लोगों को मिल सके. उन्होंने कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि उस के माध्यम से नेकी की दीवार को छुपाने का कार्य किया जा रहा है. नेकी की दीवार में जांच किए जाएंगे और जो तथ्य सामने आएंगे उस पर कार्रवाई की जाएगी।
सर्वेक्षण टीम के आते ही निगम और स्मार्ट सिटी नेकी का दीवार को ढकने का कर रही काम- उप नेता प्रतिपक्ष
मनोज वर्मा, उप नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम रायपुर का कहना है कि जब से स्मार्ट सिटी रायपुर को सवारने में लगी है कहीं ना कहीं पैसों का दुरुपयोग हो रहा है. और उसी के परिपेक्ष में हमारी सरकार के दौरान नेकी की दीवार का निर्माण किया गया था. अब शहर के दोनों जगह कहने की दीवार को आगजनी का शिकार कर दिया गया और नगर निगम, पुलिस प्रशासन और स्मार्ट सिटी के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई. भाजपा के द्वारा प्रदर्शन भी किया गया कि उसे तुरंत बनाया जाए लेकिन उसके बावजूद अभी तक इसे नहीं बनाया गया है. उसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब सर्वेक्षण टीम दिल्ली से आती है तो नगर निगम और स्मार्ट सिटी उसे ढकने का काम कर रही है. कहीं ना कहीं ये ढोल में पोल है और स्मार्ट सिटी केवल दिखावे कर करके सरकार से पैसे मंगवा रही है.