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क्राइमछत्तीसगढ़

CG में CRPF सब-इंस्पेक्टर से 22 लाख की साइबर ठगी, ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर 17 दिन तक चलता रहा डर का खेल

अंबिकापुर : साइबर अपराधियों के हौसले अब इतने बढ़ गए हैं कि वे सुरक्षा बलों के अधिकारियों को भी अपने जाल में फंसा रहे हैं। अंबिकापुर के गांधीनगर थाना क्षेत्र स्थित CRPF कैंप में पदस्थ एक सब-इंस्पेक्टर (SI) आर. महेन्द्र के साथ 22 लाख रुपये की साइबर ठगी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।

ठगों ने खुद को “टेलीकॉम डिपार्टमेंट ऑफ इंडिया, दिल्ली” का अधिकारी बताते हुए SI को बताया कि उनके आधार कार्ड से एक सिम कार्ड जारी हुआ है, जिसका गैरकानूनी गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहा है। आरोप लगाया गया कि इस सिम से मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य आपराधिक गतिविधियां की जा रही हैं।

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‘डिजिटल अरेस्ट वारंट’ का डर दिखाकर 22 लाख ठगे

कॉलर ने खुद को रविशंकर नामक अधिकारी बताया और SI को धमकाया कि अगर वे सहयोग नहीं करेंगे तो उनके खिलाफ FIR दर्ज कर उन्हें दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाएगा। ठगों ने उन्हें बताया कि उनके खिलाफ डिजिटल अरेस्ट वारंट भी जारी हो चुका है और उनकी सिम 2 घंटे में बंद कर दी जाएगी।

इस मानसिक दबाव और डर के चलते SI ने 17 दिनों तक ठगों के निर्देशों का पालन किया और अलग-अलग खातों में कुल 22 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। बाद में जब उन्हें ठगी का अहसास हुआ, तो उन्होंने गांधीनगर थाने में FIR दर्ज कराई। अब पुलिस ने साइबर सेल की मदद से जांच शुरू कर दी है।

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पुलिस की चेतावनी और अपील

गांधीनगर थाना पुलिस ने आम लोगों से अपील की है कि अगर इस प्रकार की कोई कॉल आए, जिसमें खुद को सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी जाए, तो घबराएं नहीं। तुरंत पुलिस या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें।

यह मामला साइबर अपराध के नए रूप और इसके खतरनाक प्रभाव की ओर संकेत करता है, जिसमें मानसिक दबाव और तकनीकी जाल के जरिए लोगों को आर्थिक रूप से बर्बाद किया जा रहा है।

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